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उत्तराखंड

देवों की भूमि उत्तराखंड (Uttarakhand) के प्रसिद्ध और ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल

Famous and Historical Places of Interest in Uttarakhand, the Land of Gods

देवों की भूमि उत्तराखंड (Uttarakhand) हमारे भारत देश के प्रसिद्ध पूजनीय और धार्मिक स्थानों वाला राज्य है। आइये जानते है उत्तराखंड के कुछ प्रसिद्ध स्थानों के बारे में।

ऋषिकेश (Rishikesh)

ऋषिकेश

ऋषिकेश अपने प्राचीन मंदिर, आश्रम और योग केंद्र के लिए प्रसिद्ध है। चार धाम तीर्थ यात्रा यही से शुरू की जाती है और जो लोग योग, औषधि और हिंदू धर्म के अन्य पहलुओं में रुचि रखते हैं, उनके लिए यह आदर्श स्थान है। ऋषिकेश में फरवरी माह में अंतर्राष्ट्रीय योग सप्ताह किया जाता है, जो कि पूरी दुनिया में मनाया जाता है। ऋषिकेश समुद्र तल से लगभग 1360 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। ऋषिकेश में हर साल बड़ी संख्या में तीर्थयात्री ध्यान लगाने आते है।

ऋषिकेश का शांत वातावरण और बहती गंगा नदी मन को शांति देते है। कहा जाता है कि समुन्द्र मन्थन के समय भगवान शिव ने इसी स्थान पर विष पिया था। विष पीने के कारण उनका गला नीला पड़ गया और इसीलिए ऋषिकेश में इस जगह को नीलकण्ठ के नाम से जाना जाता है। ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला, वशिष्ठ गुफा और नीलकंठ महादेव मंदिर आदि प्रमुख पर्यटन स्थल है।

केदारनाथ (Kedarnath)

केदारनाथ

केदारनाथ, भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित प्रसिद्ध मंदिर है। यह अपने प्राचीन शिव मंदिर, तीर्थ स्थल, हिमालय पर्वतमाला के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। यह एक धार्मिक स्थल है, जो हिन्दुओं की आस्था का प्रतीक है। केदारनाथ में बर्फ से ढकी चोटियां और अनगिनत पर्वतमालाएं हैं। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण पाण्डवों के पौत्र महाराजा जन्मेजय ने कराया था। केदारनाथ में बहुत ही सुन्दर मंदिर बना हुआ है, जो पौराणिक कथा के आधार पर पांडवों का बनाया हुआ मंदिर है।

यहाँ भगवान विष्णु के अवतार नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उनकी प्रार्थनानुसार उन्हें ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वर प्रदान किया, तभी से भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग के रूप में केदारनाथ पर्वतराज हिमालय के केदार नामक श्रृंग स्थल पर वास है। केदारनाथ, भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित प्रसिद्ध मंदिर है। यह अपने प्राचीन शिव मंदिर, तीर्थ स्थल, हिमालय पर्वतमाला के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। यह एक धार्मिक स्थल है, जो हिन्दुओं की आस्था का प्रतीक है।

केदारनाथ में बर्फ से ढकी चोटियां और अनगिनत पर्वतमालाएं हैं। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण पाण्डवों के पौत्र महाराजा जन्मेजय ने कराया था। केदारनाथ में बहुत ही सुन्दर मंदिर बना हुआ है, जो पौराणिक कथा के आधार पर पांडवों का बनाया हुआ मंदिर है। यहाँ भगवान विष्णु के अवतार नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उनकी प्रार्थनानुसार उन्हें ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वर प्रदान किया, तभी से भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग के रूप में केदारनाथ पर्वतराज हिमालय के केदार नामक श्रृंग स्थल पर वास है।

गंगोत्री (Gangotri)

गंगोत्री

गंगोत्री उत्तरकाशी के तीर्थस्थलो में से एक हैं, जहां सदियों पहले राजा भागीरथ ने तपस्या करके देवी गंगा को प्रसन्न किया था और देवी गंगा को धरती पर उतरने की इच्छा प्रकट की थी। बहुत ऊंचाई से गिरते जल से धरती के फट जाने के डर से राजा भागीरथ ने भगवान शिव को प्रसन्न किया था और तब भगवान शिव ने देवी गंगा को अपनी जटाओं में समा लिया। इसीलिए इस गंगा नदी को भागीरथी नदी के नाम से भी जाना जाता है।

गंगोत्री की यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल से लेकर नवंबर है। मानसून के दिनों में यात्रा बिलकुल नहीं करनी चाहिए। अक्षय तृतीया के दिन से दिवाली के दिन तक कपाट खुले रहते है। श्रद्धालु रेल मार्ग, हवाई और सड़क से गंगोत्री बहुत आसानी से पहुंच सकते हैं।

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क (Jim Corbett National Park)

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय पार्क है। इसकी स्थापना नैनीताल जिले के रामनगर नगर के पास सन् 1936 में हैंली नेशनल पार्क के रूप ने की गई थी। सन् 1957 में महान प्रकृतिवादी, प्रख्यात संरक्षणवादी स्वर्गीय जिम कॉर्बेट की याद में पार्क को कॉर्बेट नेशनल पार्क के रूप में परिवर्तित किया गया, जिन्होंने इसकी स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हिमालय की तलहटी में स्थित जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क लगभग 521 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में हिरन, शेर, हाथी, नीलगाय, भालू, बाघ, सुअर, चीतल, साँभर, पांडा, काकड़, घुरल और चीता आदि ‘वन्य प्राणी’ अधिक संख्या में देखने को मिलते हैं। इस पार्क में जानवरों की लगभग 50 प्रजातियां पायी जाती है और पक्षियों की लगभग 580 प्रजातियां पाई जाती है और विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे भी पाए जाते है।

देहरादून (Dehradun)

देहरादून

देहरादून उत्तराखंड की राजधानी के साथ-साथ एक खूबसूरत पर्यटन स्थल भी है। पहाड़ी चोटियों के पीछे छिपा यह खूबसूरत शहर अपने खूबसूरत वादियों और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। जहां देश-विदेश से सुंदर प्रकृति का आनंद लेने के लिए लोग घूमने आते है।

देहरादून अपने अनोखे प्राकृतिक स्थान जैसे; गुफा, मंदिर और झरने आदि के कारण पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। लोगों को यहां के चिड़िया घर और पिकनिक के लिए फन वेल्ली पार्क (Fun Velly Park) और शांत वातावरण खूब पसंद आते है। देहरादून की ढलान वाली पहाड़ियाँ साइकिलिंग के लिए भी बहुत मशहूर है।

नैनीताल (Nainital)

नैनीताल

नैनीताल शहर, पहाड़ियों से घिरा हुआ प्राकृतिक और सुंदरता से परिपूर्ण है, जिसमे कई तरह की झील भी है। इनमे ‘नैनी झील’ सबसे प्रमुख झील है। प्राकृतिक सुंदरता, बर्फ से ढकी पहाड़ियों और शांत झीलों कि वजह से नैनीताल पर्यटकों को बहुत आकर्षित करता हैं। नैनीताल में ठहरने की व्यवस्था भी है। यहाँ नैनीताल कल्ब, कुमाऊं मण्डल विकास निगम के भी दो रेस्ट हाउस सैलानियों के लिए हैं और शहर में अनेक होटल है, जो उचित दामों पर उपलब्ध है।

नैनीताल में घूमने की बहुत जगह है जैसे; नैनी झील, सडियाताल झरना, हनुमानगढ़ी, किलबरी, खुर्पाताल, श्यामखेत टी गार्ड़न, काकडीघाट, गुफा उद्यान, नैना देवी मंदिर और जी बी पंत हाई एल्टीट्यूड चिड़ियाघर आदि है।

फूलों की घाटी (Valley of Flowers National Par)

फूलों की घाटी

उत्तराखंड के चमोली जिले में फूलों का अद्भुत संसार है, जो हिमालय पर्वतीय श्रंखला और जांस्कर के मध्य स्थित है। इस जगह को देखकर ऐसा लगता है, कि जैसे किसी ने फूलों की गलीचा बिछा दी हो और इसकी खास बात यह भी है कि यह घाटी हर दो सप्ताह में अपना रंग बदलती है। कभी पिले रंग के फूल तो कभी लाल रंग के फूल खिलते है।

इस घाटी में लगभग 500 से अधिक फूलो की प्रजातिया मिलती है, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। यह फूलों की घाटी के नाम से प्रसिद्ध है।

बद्रीनाथ (Badrinath)

बद्रीनाथ 1

बद्रीनाथ अथवा बद्रीनारायण मन्दिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के चमोली जनपद में अलकनन्दा नदी के तट पर स्थित है। यह स्थान प्रसिद्ध चार धामों में से एक है। जहां नर और नारायण दोनों मिलते है। यह धाम हिमालय के सबसे पुराने तीर्थों में से एक है।

धर्म ग्रंथों के अनुसार बद्रीनाथ में ही भगवान विष्णु ने सतयुग में देवताओं और मनुष्यों को साक्षात दर्शन देते थे और यहाँ द्वापर युग से भगवान विष्णु के विग्रह दर्शन भक्तों को होने लगे। बद्रीनाथ मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है। इस मंदिर के निकट ही एक कुंड है, जिसका जल सदैव गरम रहता है।

मसूरी (Mussoorie)

मसूरी

मसूरी में घूमने की जगह इस हिल स्टेशन का दीदार करना यात्रियों की पहली पसंद होती है। यह पर्वतीय पर्यटन स्थल हिमालय पर्वतमाला के मध्य हिमालय श्रेणी में पड़ता है। यहां माल रोड, भट्टा फाल, केम्पटी फॉल्स, जॉर्ज एवरेस्ट हाउस, लाल टिब्बा घूमने के लिए बहुत जगह हैं। मसूरी को “क्वीन ऑफ द हिल्स” के नाम से भी जाना जाता हैं।

मसूरी उन स्थानों में से एक है, जहाॅं लोग बार-बार आते जाते हैं। मसूरी गंगोत्री का प्रवेश द्वार भी है। मसूरी यात्रियों को एक शांत और सुखद जलवायु का अनुभव कराता है। मसूरी की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 7000 फीट है। मसूरी ऊँचे -ऊँचे बदलो से ढके हुए पहाड़, मंदिरो, झरने , झील और प्राकृतिक की सौंदर्यता के लिए मशहूर है।

यमुनोत्री (Yamunotri)

यमुनोत्री

यमुनोत्री उत्तरकाशी में गढ़वाल हिमालय में बहुत ऊंचाई पर स्थित है। यह उत्तराखंड के चार धाम तीर्थ यात्रा में से एक स्थल है। यह बंदर पुंछ पर्वत पर समुद्र तल से 3293 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यमुनोत्री जाने का मार्ग घने जंगलों से और असमान सड़कों से होकर जाता है। यमुनोत्री में सुंदर मंदिर और जानकीचट्टी पवित्र झरना हैं। यमुना सर्वप्रथम जल रूप में कलिंद पर्वत पर आई, इसलिए इनको कालिंदी भी कहा जाता है।

सप्तऋषि कुंड, सप्त सरोवर कलिंद पर्वत के ऊपर ही स्थित हैं। यमुनोत्री असित मुनि का निवास स्थान था। यमुनोत्री में दो पानी के कुण्ड है, एक गर्म पानी का सूर्य-कुंड और दूसरा ठन्डे पानी का गौरी कुंड है।

रानीखेत (Ranikhet)

रानीखेत

रानीखेत उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित एक छोटा सा गांव है। रानीखेत हिमालय के पहाड़ों, देवदार और बलूत के वृक्षों से घिरा बहुत ही सुन्दर और प्राकृतिक पर्यटन स्थल है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग 1824 मीटर है। यह एक छोटा सा हिल स्टेशन भी है। रानीखेत फ़िल्म निर्माताओं को भी बहुत पसन्द आने वाला शहर है।

उत्तराखंड की कुमाऊं की पहाड़ियों के आंचल में छुपा यह शहर सुंदर घाटियां, गगनचुंबी पर्वत, चीड़ और देवदार के ऊंचे-ऊंचे पेड़, संकरे रास्ते, घना जंगल, टेढ़ी-मेढ़ी जलधारा और प्रदूषण से दूर ग्रामीण परिवेश का अद्भुत सौंदर्य आकर्षण का केन्द्र है। कई प्राचीन मंदिर, हरा भरा और शांत प्राकृतिक वातावरण यहां आने वाले पर्यटकों को बेहद रोमांचित कर देता है।

हरिद्वार (Haridwar)

हरिद्वार

भारत के पवित्र स्थानों में से हरिद्वार एक लोकप्रिय स्थान है। यह प्राचीन शहर गंगा नदी के तट पर स्थित है। यहाँ हर साल लाखों की तादाद में पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालु आते है।

हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे पर स्थित हर की पौड़ी एक पवित्र स्थल है। यहां से लोग गंगा जल लेकर जाते है। हरिद्वार में बारह साल में एक बार प्रसिद्ध कुंभ मेले का आयोजन होता है, जिसमे पुरे भारत से श्रद्धालु आते हैं। भारत में हरिद्वार के अलावा उज्जैन, नासिक और प्रयागराज में भी कुंभ मेले का आयोजन होता है।

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