Rabindranath Tagore : A Unique Confluence of Art, Literature and Music
रबीन्द्रनाथ टैगोर या रबीन्द्रनाथ ठाकुर विश्व के प्रसिद्ध साहित्यकार, दार्शनिक, कवि, संगीतकार, नाटककार और चित्रकार थे। रबीन्द्रनाथ जी एकमात्र ऐसे कवि थे, जिन्होंने दो देशों (भारत और बांग्लादेश) का राष्ट्र-गान लिखा और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने वाले युगदृष्टा के रूप में उभरे। इन्हें गुरुदेव के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है।
रबीन्द्रनाथ जी ने पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में एक छोटे-से शहर शांतिनिकेतन में 1901 में एक विद्यालय की स्थापना की।
इन्होनें अनेकों यात्रा वृत्तांत, लघु कहानियाँ, उपन्यास, लेख और हजार से भी ज्यादा गीतों की रचनाएँ की। रबीन्द्रनाथ टैगोर जी ने भारत के अनेक राष्ट्रीय और सांस्कृतिक आंदोलनों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
रबीन्द्रनाथ टैगोर जी को उनके कविता-संग्रह गीतांजलि (Gitanjali) के लिए सन 1913 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) से सम्मानित किया गया।
जीवनी (Biography)
जन्म (Birth)
रबीन्द्रनाथ टैगोर जी का जन्म कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुर बारी में 7 मई 1861 को हुआ था। इनकी माता का नाम शारदा देवी और पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर था। रबीन्द्रनाथ टैगोर जी अपने माता-पिता की 13वीं संतान थे। इनके पिता देवेन्द्रनाथ टैगोर ब्रह्म समाज के संस्थापकों में से एक थे।
शिक्षा (Education)
रबीन्द्रनाथ टैगोर जी ने अपनी आरम्भिक शिक्षा प्रतिष्ठित सेंट जेवियर स्कूल से प्राप्त की। बैरिस्टर बनने की इच्छा में, उन्होंने 1878 में इंग्लैंड के ब्रिजस्टोन के पब्लिक स्कूल में दाखिला लिया, फिर लंदन विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई की, लेकिन 1880 में बिना डिग्री प्राप्त किए ही घर लौट आए।
लोगों को रबीन्द्रनाथ टैगोर जी के बचपन से ही कविता, छंद और भाषा में उनकी अद्भुत प्रतिभा का आभास होने लगा था। सन 1877 में उनकी पहली लघुकथा प्रकाशित हुई थी, तब उनकी आयु केवल 16 वर्ष की थी। उन्होंने अपनी पहली कविता 8 वर्ष की आयु में लिखी थी।
बचपन में ही रबीन्द्रनाथ टैगोर की माँ का देहांत हो गया था और उनके पिता व्यापक रूप से यात्रा करते थे, इसलिए उनका पालन-पोषण ज्यादातर नौकरों ने किया। बंगाल पुनर्जागरण के समय में टैगोर परिवार सबसे आगे था, जिस दौरान उन्होंने साहित्यिक पत्रिकाएँ (Literary Magazines) प्रकाशित कीं। सन 1883 में रबीन्द्रनाथ टैगोर जी ने मृणालिनी देवी से शादी की।
फिर रबीन्द्रनाथ टैगोर ने बड़े पैमाने पर स्कूली शिक्षा से परहेज किया तथा उनके भाई हेमेंद्रनाथ ने उन्हें शिक्षा और शारीरिक रूप से प्रशिक्षित किया। रबीन्द्रनाथ टैगोर जी की अत्यधिक रूचि साहित्य, शरीर विज्ञान, ड्राइंग, भूगोल, संस्कृत, अंग्रेजी, इतिहास और गणित विषयों में थी। वे औपचारिक शिक्षा के खिलाफ थे। उनका कहना था कि उचित शिक्षण चीजों की व्याख्या नहीं करता।
इन्होंने खगोल विज्ञान, आधुनिक विज्ञान, इतिहास और संस्कृत का अध्ययन किया। कालिदास और उनकी रचनाओं का भी इन्होंने अध्ययन किया।
सन 1873 में, एक महीने के प्रवास के लिए ये अमृतसर गए। अमृतसर में ये गूरुवाणी तथा नानक वाणी से अत्यधिक प्रभावित हुए, जोकि स्वर्ण मंदिर में सुबह के समय गाए जाते थे। रबीन्द्रनाथ जी अपने पिता के साथ प्रतिदिन वाणी सुनते थे। इन सब का जिक्र टैगोर ने अपनी पुस्तक “मेरी यादें” में किया है, यह पुस्तक सन 1912 में प्रकाशित हुई थी।
2011 में, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस ने “द एसेंशियल टैगोर” को प्रकाशित करने के लिए विश्व-भारती विश्वविद्यालय के साथ सहयोग किया, जो टैगोर के कार्यों का सबसे बड़ा संकलन है। इसे फकराल आलम और राधा चक्रवर्ती द्वारा संपादित किया गया था और टैगोर के जन्म को चिह्नित किया गया था।
मृत्यु (Death)
रबीन्द्रनाथ टैगोर लंबे समय से कैंसर जैसी भयानक बीमारी से ग्रसित थे, जिस कारण 7 अगस्त, 1941 को उनकी मृत्यु हो गई।
नोबेल पुरस्कार हुआ था चोरी (Nobel Prize was stolen)
रबीन्द्रनाथ जी नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले गैर-यूरोपीय व्यक्ति बन चुके थे। उन्होंने यह पुरस्कार विश्व-भारती विश्वविद्यालय की सुरक्षा में रखवा दिया था। सन 2004 में यह नोबेल पुरस्कार वहां से चोरी हो गया।
नाइटहुड की उपाधि को किया वापिस (Returned the Title of Knighthood)
3 जून, 1915 को, नोबेल पुरस्कार विजेता, बंगाली लेखक और कवि रबीन्द्रनाथ टैगोर को ब्रिटिश सरकार द्वारा नाइटहुड से सम्मानित किया गया था परन्तु , 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध में, उन्होंने ब्रिटिश सरकार को नाइटहुड की उपाधि वापिस लौटा दी।
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