Arunachal Pradesh is the State of Natural Beauty and Historical Sightseeing
अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) भारत के पूर्वोत्तर में स्थित एक बहुत ही खूबसूरत राज्य है। आज हम आपको अरुणाचल प्रदेश के उन पर्यटन स्थलों से रूबरू करवाने जा रहे है, जहां आकर आपकी यात्रा यादगार बन जाएगी। पहाड़ी क्षेत्र में स्थित ये राज्य शांत झीलों, झरनों, बर्फ से ढकी बड़ी – बड़ी चोटियों, और कई खूबसूरत प्रसिद्ध जगहों के कारण प्रसिद्ध है।
इस राज्य में अद्भुत कला-कृतियाँ और संस्कृति से जुड़े लोग रहते है और कई भाषाएँ बोली जाती है। इस राज्य में कई प्रकार जनजातियां है, जोकि अपने सभी तीज-त्योहारों को बड़े ही हर्षोउल्लाष और धूम धाम से मनाते है।
भालुकपोंग (Bhalukpong)

भारत के राज्य अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कमेंग ज़िले में कामेंग नदी के किनारे एक छोटा सा कस्बा भालुकपोंग बसा हुआ है, जोकि अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए बहुत प्रसिद्ध है। भालुकपोंग पखुई वन्यजीव अभ्यारण्य के सदाबहार जंगलों से घिरा हुआ है, जिसे टाइगर रिजर्व के नाम से भी जाना जाता है।
जनवरी माह में यहां पर ह्रूसो या आका समुदाय के लोग बहुत बड़े पैमाने अथवा धूमधाम से न्येकीदौ त्योहार मनाते है। भालुकपोंग को अरुणाचल प्रदेश का प्रवेश द्वार भी माना जाता है। भालुकपोंग से टाइगर रिर्जव तक जाने के लिए पर्यटकों को कामेंग नदी को पार करना पड़ता है। यहाँ की सुंदर पहाड़ियाँ आपको ट्रेकिंग में जाने का शानदार अवसर प्रदान करती है।
यहां की नदी राफ्टिंग और मछली पकड़ने जैसी मजेदार गतिविधियों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। टीपी ऑर्चिडेरियम भालुकपोंग का एक और प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, जहां पर 80 विभिन्न प्रजातियों की 2600 से भी अधिक उन्नत किस्म की ऑर्चिड देखने को मिलती हैं।
भालुकपोंग में भालुकपोंग फोर्ट, टीपी आर्केडियम, पक्के टाइगर रिजर्व नेशनल पार्क इत्यादि बहुत प्रसिद्ध है।
ईटानगर (Itanagar)

ईटानगर, हिमालय के उत्तरी छोर पर बसा हुआ एक प्राकृतिक स्वर्ग है। यहां का सुहाना मौसम साल भर पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह अरुणाचल प्रदेश की राजधानी और सबसे बड़ा शहर भी है। यह दिकरोंग नदी के किनारे बसा हुआ तथा पपुम पारे ज़िले में स्थित हैं। समुद्रतल से इसकी ऊंचाई करीब-करीब 350 मी. है।
ईटानगर में बहुत ही प्राचीन समय से ईटा किला मौजूद है। यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि इस किले को 14 से 15वीं शताब्दी के बीच कई राजाओं द्वारा निर्मित किया गया था। इस किले के कारण ही इस शहर का नाम ईटानगर पड़ा। इस किले में अनेकों प्राचीन कलाकृतियां व दृश्य देखने को मिलेंगें। वर्तमान में इस किले को राजभवन के नाम से जाना जाता है। अब राज्यपाल का सरकारी आवास बन चुका है।
ईटानगर में गंगा झील, इटा फोर्ट, रूपा हिल, गोम्पा बौद्ध मंदिर, इटानगर वन्यजीव अभ्यारण, जवाहर लाल नेहरू राज्य संग्राहलय, इंदिरा गांधी पार्क, क्राफ्ट सेंटर, इम्पो रियम इटानगर इत्यादि यहां के प्रमुख आकर्षण है।
दिरांग (Dirang)

अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी कमेंग जिले में एक छोटा-सा कस्बा या गाँव दिरांग स्थित है। यह दिरांज नदी के किनारे बसा एक आदिवासी क्षेत्र है। यहां के सबसे पुराने मठों में से एक है, खस्तुंग गोम्पा मठ, जो गांव से थोड़ी चढ़ाई पर स्थित है।
यहां एक पहाड़ी की चोटी पर दिरांग जॉन्ग किला स्थित है, जो भूटानी पाषाण वास्तुकला की शैली में निर्मित है। इस गांव का एक और रोचक आकर्षण, गर्म पानी का एक सोता है, जिसे यहां के स्थानीय लोग पवित्र मानते हैं। यहां के जनजातीय परिवारों की कॉलोनी काफी आश्चर्यजनक है। यहां के घर प्रतिकूल मौसम से बचने के लिए कुछ खास प्रकार से डिजाइन किए गए हैं।
सेला दर्रा (Sela Pass)

अरुणाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा देखे जाने वाली जगह सेला दर्रा या से ला है। तवांग ज़िले और पश्चिम कमेंग ज़िले के मध्य अवस्थित एक उच्च तुंगता वाला पहाड़ी दर्रा है। यह विश्व के उच्च ऊंचाई पहाड़ वाले पहाड़ों में से एक है। यहां पर सर्दियों के दौरान झील बर्फ जैसे जम जाते हैं। यह दर्रा तिब्बती बौद्ध शहर तवांग को दिरांग और गुवाहाटी से जोड़ देता है। इस दर्रे से होकर ही तवांग शेष भारत से एक मुख्य सड़क के माध्यम से जुड़ा हुआ है। यह तवांग से लगभग 78 कि.मी. और गुवाहाटी से करीब-करीब 340 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।
इस दर्रे के नजदीक बहुत ही खूबसूरत सेला झील भी है, जोकि लगभग 101 पवित्र तिब्बती बौद्ध धर्म के झीलों में से एक है। इस दर्रे के आस-पास वनस्पति अल्प मात्रा में उगते है। शीत ऋतु के दौरान भारी बर्फबारी होने कारण यह क्षेत्र ज्यादातर बर्फ से ढका रहता है परन्तु फिर भी यह वर्ष भर खुला रहता है। सेला दर्रा तवांग और बौद्ध धर्म के प्रसिद्ध तवांग मठ का प्रवेश द्वार है और यह समुद्री स्तर से 4170 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
यिन्ग्किओंग (Yingkiong)

यिन्ग्किओंग, भारत के राज्य अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले का प्रशासनिक मुख्यालय होने के साथ-साथ एक प्रसिद्ध नगर भी है। 1995 तक यह पूर्वी सियांग जिले का एक विभाजन हुआ करता था, उसके बाद इसे पूर्वी सियांग जिले से पासीघाट के उत्तर-पश्चिम में एक अलग प्रशासनिक जिले के रूप में विभाजित कर दिया गया। यह क्षेत्र अपनी विविध और रंगीन जातीयता के लिए बहुत प्रसिद्ध है।
यिन्ग्किओंग में सबसे अधिक मौलिंग नेशनल पार्क, पासीघाट-जेंगिंग-यिंकियोंग, सर्किट, डॉ. डेइंग एरिंग मेमोरियल वन्यजीव अभ्यारण्य, ब्रह्मपुत्र नदी इत्यादि प्रसिद्ध है।
नामदफा राष्ट्रीय उद्यान (Namdapha National Park & Tiger Reserve)

अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख आकर्षणों में से एक नामदफा नेशनल पार्क भी है, जिसे संपूर्ण पूर्वी हिमालय में जैव विविधता का हॉट स्पॉट घोषित किया गया है। यह एक बहुत बड़ा राष्ट्रीय उद्यान तथा बाघ संरक्षित क्षेत्र है। चांगलांग जिले में स्थित नमदाफा अपने अभयारण्य के लिए जाना जाता है। इस उद्यान में दुनिया का सबसे उत्तरी तराई सदाबहार वर्षावन भी मौजूद है।
इस उद्यान में से नामदफा नदी भी होकर गुजरती है और इसी नदी के नाम पर इस उद्यान का नाम नामदफा राष्ट्र्रीय उद्यान रखा गया है। इस नदी में अनेकों जलीय प्रजातियां पाई जाती है। इस क्षेत्र को व्यापक डिपटॅरोकार्प जंगलों के लिए भी जाना जाता है।
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