बायोनिक आई तकनीक (Bionic Eye Technology), जिसे रेटिनल प्रोस्थेसिस या विज़न प्रोस्थेसिस भी कहा जाता है, एक अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरण है जो गंभीर रूप से दृष्टिहीन लोगों को कुछ स्तर की “दृश्य” धारणा वापस दिलाने का प्रयास करता है। यह पूर्ण दृष्टि बहाल नहीं करता, बल्कि प्रकाश के धब्बों (फॉस्फीन्स) के माध्यम से रूपरेखाओं, आकृतियों और गति को समझने में मदद करता है।
यह कैसे काम करती है? (मूल सिद्धांत)
- दृश्य कैप्चर: चश्मे पर लगा एक छोटा कैमरा वातावरण का दृश्य रिकॉर्ड करता है।
- सिग्नल प्रोसेसिंग: एक छोटा वीडियो प्रोसेसिंग यूनिट (अक्सर कमर या जेब में रखा जाता है) कैमरे की छवि को प्रोसेस करता है और उसे इलेक्ट्रिकल पल्स में बदलता है।
- वायरलेस ट्रांसमिशन: प्रोसेस किए गए सिग्नल वायरलेस तरीके (आमतौर पर इंडक्शन के माध्यम से) आंख के अंदर या मस्तिष्क में स्थित इम्प्लांट को भेजे जाते हैं।
- नर्व उत्तेजना: इम्प्लांट में लगे इलेक्ट्रोड्स ये पल्स प्राप्त करते हैं और:
- रेटिनल इम्प्लांट: रेटिना की शेष स्वस्थ कोशिकाओं (गैंग्लियन सेल्स) को सीधे उत्तेजित करते हैं।
- कॉर्टिकल इम्प्लान्ट: सीधे दृश्य प्रांतस्था (विज़ुअल कॉर्टेक्स) को उत्तेजित करते हैं।
- दृश्य धारणा: उत्तेजित कोशिकाएं सिग्नल्स को ऑप्टिक नर्व के माध्यम से मस्तिष्क तक भेजती हैं। मस्तिष्क इन सिग्नल्स को प्रकाश के धब्बों या पैटर्न के रूप में व्याख्यायित करता है।
बायोनिक आई के प्रमुख प्रकार:
प्रकार | लक्ष्य स्थान | उपयोगकर्ता | उदाहरण | विशेषताएं/सीमाएं |
---|---|---|---|---|
एपिरेटिनल | रेटिना की सतह पर | रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा (RP) से पीड़ित | Argus II (द्वितीय पीढ़ी) | कैमरा बाहर। रेटिना के गैंग्लियन सेल्स को उत्तेजित करता है। सबसे परिपक्व तकनीक। |
सबरेटिनल | रेटिना के नीचे | RP या एएमडी (AMD) से पीड़ित | Alpha-AMS, PRIMA | प्राकृतिक प्रकाश का उपयोग कर सकते हैं। छोटे इलेक्ट्रोड्स, बेहतर रिज़ॉल्यूशन की संभावना। |
सुपराकोरॉइडल | कोरॉइड (रेटिना के पीछे) | RP से पीड़ित | Bionic Vision Australia | रेटिना के प्राकृतिक सिग्नल प्रवाह का अनुसरण करने का प्रयास। |
कॉर्टिकल | मस्तिष्क की दृश्य प्रांतस्था | रेटिना और ऑप्टिक नर्व दोनों क्षतिग्रस्त (जैसे ग्लूकोमा, चोट) | Orion | सबसे जटिल। सीधे मस्तिष्क को उत्तेजित करता है। अभी प्रायोगिक चरण में। |
किनके लिए है यह तकनीक?
- रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा (RP) वाले रोगी (मुख्य लाभार्थी)।
- कुछ उन्नत मामलों में उम्र से संबंधित मैक्युलर डीजनरेशन (AMD)।
- ऐसे व्यक्ति जिनकी ऑप्टिक नर्व सही है (रेटिनल इम्प्लांट के लिए)।
- जिनकी दृष्टि प्रकाश की अनुभूति (Light Perception) से भी कम या नहीं है।
वर्तमान क्षमताएं और सीमाएं:
- क्या दे सकता है?
- प्रकाश और अंधेरे के बीच अंतर।
- बड़ी वस्तुओं की स्थिति और आकृति (जैसे दरवाजा, मेज, व्यक्ति का सिल्हूट)।
- गति का पता लगाना (जैसे गाड़ी का आना, व्यक्ति का चलना)।
- उच्च-कंट्रास्ट रेखाओं को ट्रैक करना (जैसे क्रॉसवॉक पर फुटपाथ)।
- क्या नहीं दे सकता?
- रंगीन दृष्टि (अधिकांश सिस्टम मोनोक्रोम हैं)।
- पढ़ने लायक विस्तृत दृष्टि (सामान्य फॉन्ट में)।
- चेहरों को पहचानना।
- प्राकृतिक दृश्यों की स्पष्ट तस्वीरें।
- यह “सुपरह्यूमन” दृष्टि नहीं है। यह एक प्रोस्थेटिक सहायता है।
प्रमुख चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा:
- रिज़ॉल्यूशन बढ़ाना: वर्तमान इलेक्ट्रोड सैकड़ों पिक्सल प्रदान करते हैं, जबकि स्वस्थ आँख में लाखों फोटोरिसेप्टर्स होते हैं। हजारों इलेक्ट्रोड्स वाले इम्प्लांट्स पर शोध चल रहा है।
- इम्प्लांट जीवनकाल: बैटरी और बायो-कम्पैटिबिलिटी को बेहतर बनाना।
- सर्जिकल जोखिम: कम आक्रामक प्रक्रियाएँ विकसित करना।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI): कैमरा इमेज को समझदारी से प्रोसेस करने और सबसे महत्वपूर्ण जानकारी (जैसे बाधाएं, चेहरे) पर ध्यान केंद्रित करने के लिए AI का उपयोग।
- कॉर्टिकल इंटरफेसिंग: मस्तिष्क के साथ सुरक्षित और प्रभावी संचार विकसित करना।
- लागत: ये सिस्टम अत्यधिक महंगे हैं (सैकड़ों हजार डॉलर), जिससे पहुंच सीमित है।
प्रसिद्ध बायोनिक आई सिस्टम:
- Argus II (“दूसरी नज़र”): सबसे व्यावसायिक रूप से सफल एपिरेटिनल इम्प्लांट। यूरोप, अमेरिका और कुछ एशियाई देशों में अनुमोदित।
- PRIMA (Pixium Vision): सबरेटिनल माइक्रो-फोटोडायोड आधारित सिस्टम, बेहतर रिज़ॉल्यूशन का वादा।
- Alpha-AMS (Retina Implant AG): सबरेटिनल इम्प्लांट जो प्रकाश का उपयोग करता है।
- Orion (Cortical Prosthesis): ब्रेन इम्प्लांट पर आधारित, अभी नैदानिक परीक्षणों में।
बायोनिक आई की कीमत और सुलभता (Bionic Eye Cost & Accessibility)
बायोनिक आई तकनीक अभी अत्यधिक महंगी है, और इसकी पहुँच सीमित है। यहाँ विस्तृत जानकारी:
1. बायोनिक आई की अनुमानित कीमत (2024 तक)
सिस्टम/देश | कीमत (लगभग) | टिप्पणियाँ |
---|---|---|
Argus II (यूएस/यूरोप) | $1,50,000 – $2,00,000 (≈ ₹1.25 – 1.7 करोड़) | सर्जरी और रिहैबिलिटेशन शामिल |
PRIMA (फ्रांस) | €1,00,000 – €1,50,000 (≈ ₹90 लाख – 1.3 करोड़) | अभी क्लिनिकल ट्रायल्स में |
Alpha-AMS (जर्मनी) | €80,000 – €1,00,000 (≈ ₹70 – 90 लाख) | कम प्रचलित, विशिष्ट मामलों में |
Orion (कॉर्टिकल, यूएस) | $2,00,000+ (≈ ₹1.7 करोड़+) | प्रायोगिक, ब्रेन इम्प्लांट |
अतिरिक्त खर्चे:
- सर्जरी की लागत (₹5-10 लाख अलग से)।
- हार्डवेयर अपग्रेड/मरम्मत (हर 5-10 साल में)।
- ट्रेनिंग और थेरेपी (दिमाग को नई “दृष्टि” समझने में महीनों लगते हैं)।
2. क्या यह आम लोगों के लिए उपलब्ध है?
चुनौतियाँ:
- लागत: अधिकांश भारतीयों के लिए करोड़ों का खर्च वहन करना असंभव।
- मेडिकल बीमा: अधिकांश इंश्योरेंस कंपनियाँ बायोनिक आई को कवर नहीं करतीं।
- अनुमोदन: भारत में Argus II जैसे सिस्टम अभी पूरी तरह स्वीकृत नहीं हैं।
- सर्जन की उपलब्धता: विशेषज्ञ डॉक्टर्स की कमी।
संभावनाएँ:
- सरकारी/एनजीओ सहायता: कुछ देशों (जैसे यूके, ऑस्ट्रेलिया) में सरकार आंशिक फंडिंग करती है। भारत में अभी ऐसी योजनाएँ नहीं।
- रिसर्च प्रोग्राम्स: IITs और AIIMS जैसे संस्थान बायोनिक विज़न पर शोध कर रहे हैं, जो भविष्य में लागत कम कर सकता है।
- स्टार्टअप्स: भारतीय कंपनियाँ (जैसे Bionic Vision India) कम लागत वाले समाधान पर काम कर रही हैं।
3. भविष्य: क्या बायोनिक आई सस्ती होगी?
- 2025-2030 तक कीमत 50% तक कम होने की उम्मीद (AI और नैनोटेक्नोलॉजी की बदौलत)।
- 3D प्रिंटेड इम्प्लांट्स और स्वदेशी तकनीक (भारत में विकास) लागत घटा सकते हैं।
- क्राउडफंडिंग/सब्सिडी मॉडल (जैसे कोचर इम्प्लांट) भविष्य में मददगार हो सकते हैं।
4. विकल्प: क्या बायोनिक आई के अलावा कोई सस्ती तकनीक है?
- डिजिटल आई प्रोस्थेसिस (कॉस्मेटिक, दृष्टि नहीं देते)।
- जीन थेरेपी (रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा के लिए, अभी प्रायोगिक)।
- स्टेम सेल ट्रीटमेंट (भविष्य में संभावना)।
निष्कर्ष:
बायोनिक आई अभी अमीर देशों के लिए एक विलासिता है, लेकिन 10-15 सालों में यह और सुलभ हो सकती है। भारत में इसके व्यापक उपयोग के लिए सरकारी नीतियाँ, बीमा कवरेज और स्थानीय निर्माण जरूरी हैं।
“अभी यह तकनीक केवल कुछ हाथों तक सीमित है, लेकिन विज्ञान की गति देखते हुए, भविष्य में यह आम लोगों की पहुँच में होगी।”
संक्षेप में: बायोनिक आई तकनीक एक क्रांतिकारी कदम है जो गहन अंधत्व वाले लोगों को कुछ स्वतंत्रता और जीवन की गुणवत्ता लौटाने में मदद कर रही है। हालाँकि यह अभी शुरुआती चरण में है और इसकी सीमाएँ हैं, लेकिन तेज़ी से हो रहे शोध (उच्च रिज़ॉल्यूशन इलेक्ट्रोड्स, AI, बेहतर सामग्री) भविष्य में और अधिक उन्नत दृश्य पुनर्स्थापना की उम्मीद जगाते हैं।
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