उत्तरकाशी, 10 अगस्त 2025 – उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 5 अगस्त 2025 को बादल फटने और भारी बारिश के कारण मची तबाही के बाद ‘ऑपरेशन जिंदगी’ नामक एक विशाल बचाव और राहत अभियान चल रहा है। धराली और हर्षिल जैसे सबसे प्रभावित क्षेत्रों में, भारतीय सेना, वायु सेना, NDRF, SDRF, ITBP, उत्तराखंड पुलिस और BRO की टीमें दिन-रात लोगों को बचाने में जुटी हैं। अब तक 1126 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है, लेकिन कई लोग अभी भी फंसे हुए हैं। टूटी सड़कें, 50-60 फुट ऊंचा मलबा और खराब मौसम बचाव कार्यों में बड़ी चुनौती बन रहे हैं।
आपदा की शुरुआत
5 अगस्त को धराली गांव और आसपास के क्षेत्रों में बादल फटने से अचानक बाढ़ और भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई। सड़कें, पुल और बुनियादी ढांचा बह गया, कई घर और एक आर्मी कैंप मलबे में दब गए। गंगोत्री हाईवे का गंगनानी से आगे करीब 5 किलोमीटर का हिस्सा पूरी तरह नष्ट हो गया। हर्षिल में कई दिनों तक बिजली गुल रही और आपूर्ति लाइनें ठप हो गईं।
“पहाड़ जैसे हम पर गिर पड़ा,” धराली के निवासी राम सिंह ने बताया, जो अपने परिवार के साथ बाल-बाल बचे। “हमारा गांव अब मलबे और कीचड़ में दबा है, कुछ भी पहचान में नहीं आता।”
‘ऑपरेशन जिंदगी’: युद्धस्तर पर बचाव
आपदा के तुरंत बाद शुरू हुए ‘ऑपरेशन जिंदगी’ में कई एजेंसियां एकजुट होकर काम कर रही हैं। भारतीय सेना की 14 JAK RIF यूनिट के 225 से अधिक जवान, वायु सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर, और अन्य भारी संसाधनों के साथ बचाव कार्य में जुटे हैं। 9 अगस्त को ही 480 लोगों को हर्षिल और नेलांग से हेलीकॉप्टर के जरिए जोलीग्रांट, मटली और चिन्यालीसौड़ पहुंचाया गया। वायु सेना ने 270 से अधिक उड़ानें (सॉर्टीज) भरीं, जिससे लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जा सका।
सीमा सड़क संगठन (BRO) ने भटवारी क्षेत्र में 40 घंटे में सड़क खोल दी और लिमचीगाड़ पुल का निर्माण पूरा किया, जिससे धराली और अन्य प्रभावित क्षेत्रों तक राहत सामग्री और मशीनरी पहुंचाई जा रही है। यह पुल सड़क संपर्क बहाल करने में गेम-चेंजर साबित हुआ है।
हर्षिल: बिजली बहाल, आपूर्ति शुरू
हर्षिल घाटी में 9 अगस्त को बिजली बहाल कर दी गई, जिससे अंधेरे में डूबी घाटी में राहत कार्यों को गति मिली। डीजल और खाना पकाने वाली गैस की नियमित आपूर्ति शुरू हो गई है। टूटी सड़कों के कारण खाद्य सामग्री खच्चरों के जरिए पहुंचाई जा रही है। एक SDRF अधिकारी ने बताया, “बिजली बहाल होने से समन्वय और बचाव कार्य आसान हुए हैं।”
चुनौतियां और बाधाएं
बचाव कार्यों में कई चुनौतियां सामने आ रही हैं:
- मलबे का पहाड़: धराली में 50-60 फुट ऊंचा मलबा बचाव कार्यों में सबसे बड़ी बाधा है। कीचड़ और अंधेरा इसे और जटिल बना रहे हैं।
- टूटी सड़कें: गंगनानी से आगे 5 किलोमीटर सड़क बह जाने से सड़क मार्ग पूरी तरह बाधित है। खराब मौसम ने हवाई रेस्क्यू को भी प्रभावित किया है।
- समय की कमी: फंसे हुए लोगों तक भोजन, पानी और आश्रय पहुंचाना मुश्किल हो रहा है, खासकर रात के समय जब तापमान गिर जाता है।
कर्नल विक्रम रावत, जो सेना के बचाव कार्यों का नेतृत्व कर रहे हैं, ने कहा, “हर घंटा कीमती है। हम दिन-रात काम कर रहे हैं, लेकिन इलाका और मौसम हमें कड़ी चुनौती दे रहे हैं।”
नेतृत्व और समीक्षा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया और राहत कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने कहा, “हमारी पहली प्राथमिकता हर एक जान को बचाना है। सभी टीमें एकजुट होकर काम कर रही हैं, और हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक सभी सुरक्षित न हों।”
समुदाय का दर्द
उत्तरकाशी के लोगों के लिए यह आपदा जीवन को पूरी तरह बदल देने वाली साबित हुई है। कई लोग अपने घर, आजीविका और प्रियजनों को खो चुके हैं। बचाए गए लोगों में गंगोत्री तीर्थयात्रा पर आए विभिन्न राज्यों के यात्री भी शामिल हैं। लापता लोगों की खबर का इंतजार कर रहे परिवारों का दर्द देखा नहीं जा रहा।
आगे की राह
‘ऑपरेशन जिंदगी’ उत्तरकाशी के लोगों की हिम्मत और बचाव दलों के समर्पण का प्रतीक बन गया है। जैसे-जैसे अभियान जारी है, देश की नजरें इस क्षेत्र पर टिकी हैं, जहां हर पल जिंदगी और मौत के बीच की जंग चल रही है।
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