नई दिल्ली, 31 जुलाई 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय उत्पादों पर 1 अगस्त से 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, साथ ही एक अतिरिक्त दंडात्मक शुल्क की भी चेतावनी दी है। ट्रंप ने इसका कारण भारत द्वारा रूस से रक्षा उपकरणों और ऊर्जा की खरीदारी तथा ब्रिक्स समूह में सक्रिय भागीदारी को बताया है। उन्होंने ब्रिक्स को “अमेरिका-विरोधी” गठबंधन करार देते हुए दावा किया कि यह डॉलर की वैश्विक प्रमुखता को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है 2610।
ट्रंप के आरोप और भारत की प्रतिक्रिया

ट्रंप ने ट्रूथ सोशल पर एक पोस्ट में कहा, “भारत हमारा मित्र है, लेकिन उन्होंने रूस से सैन्य सामान और तेल खरीदकर, और ब्रिक्स के माध्यम से डॉलर के खिलाफ मोर्चा बनाकर हमारे हितों को चोट पहुँचाई है।” उन्होंने भारत के उच्च आयात शुल्क (कुछ कृषि उत्पादों पर 50% तक) और अमेरिका के साथ 41 अरब डॉलर के व्यापार अधिशेष की भी आलोचना की 27।
भारत सरकार ने इस फैसले की “समीक्षा” करने की बात कही है। वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि वह “किसानों, एमएसएमई और राष्ट्रीय हितों से कोई समझौता नहीं करेगा” 28। विदेश मंत्रालय ने ब्रिक्स के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए स्पष्ट किया कि भारत डॉलर-विरोधी किसी भी मुद्रा प्रस्ताव का हिस्सा नहीं है 10।
प्रभावित होने वाले प्रमुख क्षेत्र
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है (2024 में 87 अरब डॉलर)। 25% टैरिफ से इन सेक्टर्स को सबसे अधिक नुकसान होने की आशंका है:
- ऑटोमोबाइल और कलपुर्जे: टाटा मोटर्स और भारत फोर्ज जैसी कंपनियों को अमेरिकी ऑर्डर में गिरावट का सामना करना पड़ सकता है 311।
- समुद्री उत्पाद और आभूषण: भारत का 4.88 अरब डॉलर का श्रिम्प निर्यात प्रभावित होगा, जिसका 50% अमेरिका को जाता है 48।
- टेक्सटाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स: सस्ते कपड़ों के निर्यात को फायदा हो सकता है, लेकिन हाई-एंड उत्पादों की मांग घटेगी 11।
ब्रिक्स और डॉलर पर टकराव

ट्रंप ने ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, और यूएई) को लक्षित करते हुए कहा कि यह समूह “डॉलर की जगह वैकल्पिक मुद्रा प्रणाली बनाने की साजिश” कर रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसा करने वाले देशों पर 100% तक टैरिफ लगाया जाएगा 10।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रिक्स की योजना साझा मुद्रा बनाने की नहीं, बल्कि सदस्य देशों के बीच स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा देने की है। भारत ने पहले ही रूस और यूएई के साथ रुपये में लेनदेन शुरू कर दिया है, लेकिन यह डॉलर को पूरी तरह से हटाने के बजाय विविधता लाने की रणनीति है 810।
आर्थिक और राजनीतिक निहितार्थ
- भारत की जीडीपी पर असर: अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि टैरिफ से FY2026 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 0.2% से 0.5% तक कम हो सकती है 11।
- अमेरिका-भारत रिश्ते: ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को “दोस्त” बताते हुए वार्ता का दरवाजा खुला रखा है, लेकिन यह कदम द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर चल रही बातचीत को पटरी से उतार सकता है 79।
- रूस से संबंध: भारत रूस का दूसरा सबसे बड़ा तेल ग्राहक है और S-400 मिसाइल सिस्टम जैसे रक्षा सौदों पर अड़ा रहने की संभावना है 68।
आगे की राह
भारत सरकार ने अमेरिकी टैरिफ के जवाब में यूके और यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौतों को तेज करने की योजना बनाई है। साथ ही, वह अमेरिका से बातचीत जारी रखते हुए टैरिफ को 10-15% तक कम करने की उम्मीद कर रही है 811।
विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप का यह कदम उनकी “अमेरिका फर्स्ट” नीति का हिस्सा है, लेकिन भारत के लिए यह अपने व्यापारिक हितों और रणनीतिक स्वायत्तता के बीच संतुलन बनाने की परीक्षा है
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