आज, 29 जुलाई 2025 का दिन, भारत की सुरक्षा और आतंकवाद से जुड़े एक गंभीर मामले में एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हो सकता है। केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने लोकसभा में ऐतिहासिक बयान देते हुए पहलगाम नरसंहार में शहीद हुए 26 निर्दोष नागरिकों के हत्यारों का पर्दाफाश किया। उन्होंने ठोस सबूत पेश कर यह साबित करने का दावा किया कि यह घिनौना हमला पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा अंजाम दिया गया था।
यह बयान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चल रही बहस के दौरान आया, जहां विपक्षी नेताओं, विशेषकर पी. चिदंबरम ने, आतंकवादियों की पहचान पर सवाल उठाए थे। शाह ने न केवल इन सवालों का जवाब दिया बल्कि कई चौंकाने वाले सबूत भी पेश किए।
क्या है पहलगाम नरसंहार?
बैसान घाटी में हुए इस भीषण हमले में 26 मासूम नागरिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इसके जवाब में सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने संयुक्त रूप से ऑपरेशन महादेव चलाया। इस ऑपरेशन में तीन आतंकवादी ढेर कर दिए गए। शाह का बयान इन्हीं आतंकवादियों और पहलगाम हमले के बीच की कड़ी को जोड़ने के बारे में था।
गृह मंत्री द्वारा पेश किए गए अहम सबूत:
श्री अमित शाह ने संसद में कई ठोस और परस्पर जुड़े सबूत रखे, जो पाकिस्तानी संलिप्तता की ओर इशारा करते हैं:
- आतंकवादियों की पहचान:
- ऑपरेशन महादेव में मारे गए तीनों आतंकवादियों की पहचान सुलेमान, अफगान और जिब्रान के रूप में हुई है।
- यह पहचान गिरफ्तार किए गए उनके सहयोगियों द्वारा की गई जानकारी से पुष्ट होती है।
- सबसे चौंकाने वाला सबूत: इन आतंकवादियों के पास से पाकिस्तानी मतदाता पहचान संख्या (वोटर आईडी नंबर) बरामद हुई, जो उनकी पाकिस्तानी नागरिकता का सीधा सबूत है।
- पाकिस्तानी सामान का मिलना:
- मारे गए आतंकवादियों के पास से पाकिस्तान में बनी चॉकलेट बरामद हुई।
- इसके अलावा, पाकिस्तान सरकार द्वारा जारी आईडी कार्ड भी मिले।
- ये चीजें साफ तौर पर इंगित करती हैं कि ये लोग पाकिस्तान से आए थे या उन्हें वहां से लॉजिस्टिक सपोर्ट मिल रहा था।
- हथियार और बैलिस्टिक सबूत (निर्णायक कड़ी):
- आतंकवादियों से तीन खतरनाक हथियार बरामद किए गए:
- रोमानियन मॉडल 90 (AKMS) 7.62 mm
- हाइब्रिड रशियन AKM 7.62 असॉल्ट राइफल
- अमेरिकन M4 कमांडो (Colt मॉडल 933, 5.56 mm, 1995 वेरिएंट)
- इन हथियारों को तुरंत चंडीगढ़ फोरेंसिक लैब में बैलिस्टिक टेस्ट के लिए भेजा गया।
- रात भर चली जांच में बैलिस्टिक टेस्ट ने पुष्टि की कि यही वो हथियार हैं जिनका इस्तेमाल पहलगाम हमले में किया गया था।
- इस मिलान की पुष्टि छह फोरेंसिक विशेषज्ञों ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से की। यानी, गोलियों के निशान (बुलेट मैच) पूरी तरह मिले।
- आतंकवादियों से तीन खतरनाक हथियार बरामद किए गए:
बरामद हथियारों का सारांश:
हथियार का प्रकार | देश/उत्पत्ति | कैलिबर/वर्ष | सत्यापन का तरीका |
---|---|---|---|
रोमानियन मॉडल 90 (AKMS) | रोमानिया | 7.62 mm | बैलिस्टिक टेस्ट, बुलेट मैच |
हाइब्रिड रशियन AKM | रूस | 7.62 mm | बैलिस्टिक टेस्ट, बुलेट मैच |
अमेरिकन M4 कमांडो (Colt 933) | अमेरिका | 5.56 mm, 1995 वेरिएंट | बैलिस्टिक टेस्ट, बुलेट मैच |
सबूतों के गहरे मायने:
गृह मंत्री ने जोर देकर कहा कि ये सबूत सिर्फ आतंकवादियों की पहचान ही नहीं, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय साजिश और सीमा पार लॉजिस्टिक्स की ओर इशारा करते हैं। अमेरिकी, रूसी और रोमानियाई हथियारों का मिलना, पाकिस्तानी चॉकलेट और आईडी कार्ड्स का होना – ये सब बताते हैं कि एक जटिल अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क काम कर रहा है। जांच एजेंसियां अब इस बात की तह तक पहुंचने में जुटी हैं कि ये हथियार और सामान भारत में कैसे और किन रास्तों से आए।
राजनीतिक आग और विवाद:
शाह का यह बयान सीधे तौर पर विपक्ष, खासकर कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम के उन सवालों का जवाब था, जिनमें आतंकवादियों के पाकिस्तानी होने के सबूत पर संदेह जताया गया था। शाह ने कड़े शब्दों में विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे “पाकिस्तान को बचाने” की कोशिश कर रहे हैं और उसे “क्लीन चिट” देना चाहते हैं।
उन्होंने याद दिलाया कि 2005 से 2011 के बीच 27 बड़े आतंकवादी हमलों के जवाब में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सैन्य कार्रवाई नहीं की, बल्कि पाकिस्तान को “डोजियर” भेजे थे। यह टिप्पणी सुरक्षा नीति को लेकर दोनों पक्षों के गहरे मतभेदों को उजागर करती है।
व्यापक जांच जारी:
शाह ने यह भी बताया कि पहलगाम मामले की जांच के दौरान 1000 से अधिक लोगों से पूछताछ की गई है। यह आंकड़ा इस घटना की गंभीरता और हर पहलू की जांच करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
निष्कर्ष: सबूतों का भारी बोझ
अमित शाह द्वारा 29 जुलाई 2025 को लोकसभा में पेश किए गए सबूत – आतंकवादियों की पाकिस्तानी पहचान (आईडी नंबर और सहयोगियों के बयान), पाकिस्तानी सामान और सबसे बढ़कर फोरेंसिक रूप से पुष्ट हथियार – पाकिस्तानी आतंकवादियों की सीमा पार संलिप्तता की ओर स्पष्ट संकेत करते हैं। ये प्रमाण काफी हद तक ठोस और परखे हुए लगते हैं।
हालांकि, विपक्ष द्वारा उठाए गए सवाल और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप यह दिखाते हैं कि इस मुद्दे पर राजनीतिक बहस जारी रहने की संभावना है। सवाल यह भी है कि विभिन्न देशों के ये हथियार भारत में कैसे पहुंचे? इस जटिल सवाल का जवाब ढूंढना भविष्य की जांच की एक बड़ी चुनौती होगी।
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