वाशिंगटन/नई दिल्ली, 20 जुलाई (भाषा): अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर विवादास्पद दावा करते हुए कहा है कि उन्होंने ही मई 2024 में भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव को “व्यापारिक दबाव” के जरिए रोका था। शुक्रवार को व्हाइट हाउस में रिपब्लिकन सीनेटरों को संबोधित करते हुए ट्रंप ने यह बयान दिया, जिसे भारत पहले ही कई बार खारिज कर चुका है।
ट्रंप के विवादास्पद दावे
- “भारत-पाक के बीच 5 जेट मार गिराए गए थे, मैंने हस्तक्षेप कर युद्ध रोका”
- “हमने व्यापार समझौते का प्रस्ताव रखकर दोनों देशों को समझौते पर मजबूर किया”
- “परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच युद्ध को टालना मेरी बड़ी उपलब्धि”
भारत की प्रतिक्रिया
भारतीय विदेश मंत्रालय ने पहले ही स्पष्ट किया था कि ऑपरेशन सिंदूर (पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर हवाई हमला) के बाद संघर्ष विराम भारत-पाकिस्तान के बीच सीधी वार्ता का परिणाम था। सूत्रों के अनुसार, “भारत ने अपने सैन्य लक्ष्य पूरे कर लिए थे, जिसके बाद पाकिस्तान ने शांति की गुहार लगाई।”
BRICS देशों को नई चेतावनी

ट्रंप ने अपने भाषण में विकासशील देशों के समूह BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) को भी निशाने पर लिया:
- “BRICS अगर अमेरिका-विरोधी रुख अपनाएगा तो लंबे समय तक नहीं टिक पाएगा”
- “1 अगस्त से BRICS देशों के आयात पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लागू होगा”
- “हमने ईरान की तरह किसी को भी सबक सिखाने में देर नहीं की”
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
- कांग्रेस: “ट्रंप के बयान से साबित होता है कि मोदी सरकार ने देश की सुरक्षा नीति को अमेरिकी हितों के आगे गिरवी रखा”
- भाजपा: “भारत की स्वतंत्र विदेश नीति किसी के दबाव में नहीं बनती, ट्रंप के दावे निराधार हैं”
क्या हुआ था मई 2024 में?
- 7 मई: पुलवामा जैसे हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान के पॉइंट यूआर (उरी सेक्टर) में आतंकवादी ठिकानों पर हवाई हमला किया
- 9 मई: पाकिस्तानी वायुसेना ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की, एक मिग-21 मार गिराया
- 10 मई: दोनों देशों ने संघर्ष विराम पर सहमति जताई
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
ब्रिक्स नेताओं ने ट्रंप के दावों को “असत्य” बताया है। ब्राजील के राष्ट्रपति ने कहा, “BRICS किसी के विरोध में नहीं, बल्कि वैश्विक सहयोग के लिए काम करता है।”
नोट: ट्रंप के इन बयानों के बीच भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता जारी है, जिसमें 1 अगस्त की समयसीमा नजदीक आ रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बयानबाजी व्यापारिक दबाव बनाने की रणनीति हो सकती है।
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