नई दिल्ली, 7 अगस्त 2025: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत के खिलाफ एक बड़ा आर्थिक हमला बोला है। 6 अगस्त, 2025 को ट्रम्प ने भारतीय सामानों पर अतिरिक्त 25% का आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने की घोषणा की है। इसके साथ ही भारत से आयात होने वाले सामानों पर कुल टैरिफ 50% हो गया है। यह कदम सीधे तौर पर भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल के आयात को लेकर उठाया गया है।
क्या है पूरा मामला? (Context & Tariff Details)
- कारण साफ: ट्रम्प के कार्यकारी आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यह अतिरिक्त टैरिफ भारत के रूसी तेल आयात के जवाब में लगाया जा रहा है। अमेरिका रूस पर दबाव बनाने के लिए उसके साथ व्यापार करने वाले देशों को निशाना बना रहा है।
- समयसीमा: यह टैरिफ 6 अगस्त, 2025 की घोषणा के 21 दिन बाद (लगभग 27 अगस्त से) लागू होगा। हालांकि, 17 सितंबर, 2025 से पहले ट्रांजिट में माल पर यह लागू नहीं होगा।
- कानूनी आधार: ट्रम्प ने इस आदेश के लिए इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पॉवर्स एक्ट और नेशनल इमरजेंसीज एक्ट का हवाला दिया है।
भारत की गुस्साई प्रतिक्रिया (India’s Strong Response)
भारत सरकार ने इस कदम को सख्त शब्दों में खारिज किया है:
- “अनुचित, अन्यायपूर्ण और अतार्किक”: विदेश मंत्रालय ने इन टैरिफ को इन्हीं तीन शब्दों से नवाजा है।
- राष्ट्रीय हितों की रक्षा: सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएगी।
- तेल आयात का बचाव: भारत ने कहा कि रूसी तेल का आयात बाजार की स्थितियों और 1.4 अरब भारतीयों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है।
- “दोहरा मापदंड” का आरोप: भारत ने अमेरिका और यूरोपीय संघ पर निशाना साधते हुए कहा कि वे खुद भी रूस के साथ व्यापार करते हैं, फिर भारत को क्यों निशाना बनाया जा रहा है? यह स्पष्ट दोहरा मापदंड है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा असर (Economic Impact – बड़ा झटका)
यह 50% टैरिफ भारतीय निर्यातकों के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है:
- $8 बिलियन का जोखिम: यूबीएस के अनुमान के मुताबिक, 8 अरब डॉलर (लगभग 66,400 करोड़ रुपये) मूल्य का भारतीय निर्यात इस टैरिफ की चपेट में आ सकता है।
- जीडीपी पर असर: अमेरिका भारत के कुल सामान निर्यात का लगभग 20% गंतव्य है, जो भारत की जीडीपी का लगभग 2% है। इस पर टैरिफ का सीधा असर पड़ेगा।
- सबसे ज्यादा प्रभावित सेक्टर:
- रत्न और आभूषण (Gems & Jewellery): उच्च जोखिम
- परिधान (Apparel): उच्च जोखिम
- वस्त्र (Textiles): उच्च जोखिम
- रसायन (Chemicals): उच्च जोखिम
- समुद्री उत्पाद (Marine Products): प्रभावित हो सकते हैं।
- बचे हुए सेक्टर (राहत की बात): कुछ अहम क्षेत्रों को इस टैरिफ से छूट दी गई है:
- फार्मास्यूटिकल्स (Pharmaceuticals)
- सेमीकंडक्टर (Semiconductors)
- इलेक्ट्रॉनिक्स (Electronics)
- आईटी सेवाएं (IT Services): सीधे तौर पर टैरिफ का निशाना नहीं, लेकिन रुपये में उतार-चढ़ाव से प्रभावित हो सकती हैं।
सेक्टर पर प्रभाव (सारणी):
सेक्टर | टैरिफ से जोखिम | छूट मिली? | प्रभाव स्तर |
---|---|---|---|
रत्न एवं आभूषण | उच्च | नहीं | भारी |
परिधान (कपड़े) | उच्च | नहीं | भारी |
वस्त्र | उच्च | नहीं | भारी |
रसायन | उच्च | नहीं | भारी |
फार्मास्यूटिकल्स | कम | हाँ | कम/नहीं |
सेमीकंडक्टर | कम | हाँ | कम/नहीं |
इलेक्ट्रॉनिक्स | कम | हाँ | कम/नहीं |
आईटी सेवाएं | कम | टार्गेट नहीं | अप्रत्यक्ष |
- रुपये पर दबाव: विशेषज्ञों (एचडीएफसी की साक्षी गुप्ता) का मानना है कि 50% टैरिफ भारतीय निर्यात को उन देशों के मुकाबले बहुत पीछे धकेल देगा जहां टैरिफ 15-30% के बीच है। इससे रुपये की विनिमय दर पर दबाव बढ़ सकता है और विदेशी निवेशकों पर असर पड़ सकता है।
- विकास दर पर असर: ब्लूमबर्ग के अनुसार, अगर 25% टैरिफ होता तो जीडीपी पर असर 0.2% से कम हो सकता था, लेकिन 50% टैरिफ का असर कहीं ज्यादा गहरा हो सकता है। सोसाइटी जनरल और यूबीएस ने भी भारत की आर्थिक विकास दर पर “हाशिए पर नकारात्मक प्रभाव” की आशंका जताई है।
राजनीतिक असर और भविष्य (Geopolitical Tensions & Future)
- अमेरिका-भारत संबंधों में खटास: यह फैसला दोनों देशों के बीच चल रहे व्यापार समझौते की वार्ताओं पर भारी आघात है। संबंधों में तनाव बढ़ने की आशंका है।
- वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर असर: अमेरिकी कंपनियां भारत को चीन के विकल्प के तौर पर देख रही थीं। यह टैरिफ इस रणनीति और ग्लोबल सप्लाई चेन को बाधित कर सकता है।
- अन्य देशों से तुलना (अन्याय साफ):
- चीन: 30% टैरिफ
- पाकिस्तान: 19% टैरिफ
- भारत: 50% टैरिफ (स्पष्ट रूप से सबसे ज्यादा!)
टैरिफ तुलना (सारणी):
देश | पिछला टैरिफ | अतिरिक्त टैरिफ | कुल टैरिफ | मुख्य कारण |
---|---|---|---|---|
भारत | 25% | 25% | 50% | रूसी तेल आयात |
चीन | – | – | 30% | व्यापार तनाव |
पाकिस्तान | – | – | 19% | व्यापार तनाव |
निष्कर्ष (Conclusion)
ट्रम्प का भारतीय सामान पर 50% टैरिफ लगाने का फैसला एक गंभीर आर्थिक और राजनयिक चुनौती है। जहां भारत ने इसे अनुचित बताते हुए जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है, वहीं कपड़ा, गहने और रसायन जैसे प्रमुख निर्यात सेक्टरों के सामने भारी मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स को छूट थोड़ी राहत देती है। अगले कुछ हफ्तों में भारत सरकार की प्रतिक्रिया और दोनों देशों के बीच वार्ताएं इस विवाद के भविष्य और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके दीर्घकालिक प्रभावों को तय करेंगी। यह घटना अमेरिका-भारत संबंधों में एक नया और कठिन अध्याय शुरू कर सकती है।
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