थाईलैंड और कंबोडिया ने रविवार (27 जुलाई, 2025) को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता के बाद अपनी सीमा पर चल रहे खूनी संघर्ष को समाप्त करने के लिए बातचीत करने की इच्छा जताई। चार दिनों से जारी इस लड़ाई में अब तक कम से कम 33 लोगों की मौत हो चुकी है और 1,68,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं।
ट्रंप का हस्तक्षेप और दोनों देशों की प्रतिक्रिया
शनिवार (26 जुलाई, 2025) को ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर पोस्ट करते हुए बताया कि उन्होंने थाईलैंड और कंबोडिया के नेताओं से बात की और चेतावनी दी कि यदि युद्ध जारी रहा तो अमेरिका दोनों देशों के साथ व्यापार समझौतों पर आगे नहीं बढ़ेगा। बाद में उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष युद्धविराम पर बातचीत के लिए तैयार हैं।
कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट ने रविवार को कहा कि उनका देश “तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम” के लिए तैयार है। उन्होंने बताया कि ट्रंप ने उन्हें सूचित किया कि थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथम वेचायाचाई के साथ बातचीत के बाद थाईलैंड ने भी हमले रोकने पर सहमति जताई है।
हुन मानेट ने एक बयान में कहा, “यह दोनों देशों के सैनिकों और नागरिकों के लिए सकारात्मक खबर है।” उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री प्राक सोखोन को अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ समन्वय करने और थाईलैंड के विदेश मंत्री से सीधे बातचीत करने का निर्देश दिया है।
थाईलैंड की सतर्क प्रतिक्रिया
थाईलैंड ने सतर्कता के साथ युद्धविराम का समर्थन किया। थाई विदेश मंत्रालय के अनुसार, फुमथम ने ट्रंप को धन्यवाद दिया और कहा कि थाईलैंड सिद्धांत रूप से युद्धविराम के लिए तैयार है, लेकिन कंबोडिया से “ईमानदार इरादे” की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने द्विपक्षीय वार्ता की मांग की ताकि शांतिपूर्ण समाधान के लिए ठोस कदम उठाए जा सकें।
संघर्ष की पृष्ठभूमि
यह संघर्ष गुरुवार (24 जुलाई, 2025) को तब शुरू हुआ जब सीमा पर एक लैंडमाइन विस्फोट में पांच थाई सैनिक घायल हो गए। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर संघर्ष शुरू करने का आरोप लगाया। इसके बाद दोनों देशों ने अपने-अपने राजदूतों को वापस बुला लिया और थाईलैंड ने कंबोडिया के साथ अपने सीमा पार बंद कर दिए।
युद्धविराम के बावजूद जारी झड़पें

हालांकि, राजनयिक प्रयासों के बावजूद, रविवार को भी विवादित सीमा के कुछ हिस्सों में झड़पें जारी रहीं। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर गोलाबारी और सैन्य हलचलों का आरोप लगाया।
थाई सेना के प्रवक्ता कर्नल रिचा सुकसावनोंत ने कहा कि कंबोडियाई सेना ने रविवार सुबह सुरीन प्रांत में भारी तोपखाने से गोलाबारी की, जिसमें नागरिक घर भी शामिल थे। उन्होंने आरोप लगाया कि कंबोडिया ने थाई सेना द्वारा सुरक्षित क्षेत्रों पर कब्जा करने के लिए प्राचीन ता मुएन थॉम मंदिर और अन्य क्षेत्रों पर रॉकेट हमले किए। थाई सेना ने जवाबी कार्रवाई करते हुए लंबी दूरी की तोपखाने से कंबोडियाई सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया।
रिचा ने कहा कि ट्रंप की मध्यस्थता एक “अलग मामला” है और युद्धविराम तभी संभव है जब कंबोडिया औपचारिक रूप से वार्ता शुरू करे।
नागरिकों की दयनीय स्थिति
थाईलैंड में 20 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जिनमें अधिकांश नागरिक हैं, जबकि कंबोडिया ने 13 लोगों के मारे जाने की बात कही है। थाईलैंड में 1,31,000 से अधिक लोग सुरक्षित स्थानों पर पहुंच चुके हैं, जबकि कंबोडिया के तीन प्रांतों से 37,000 लोगों ने पलायन किया है। सीमावर्ती गांवों में अधिकांश घर खाली हो चुके हैं, और कई स्कूल व अस्पताल बंद हैं।
थाईलैंड के एक नागरिक पिचायुत सुरासित ने बताया कि उन्हें बैंकॉक में अपना काम छोड़कर घर लौटना पड़ा ताकि वे अपने परिवार की रक्षा कर सकें। “मैं यह सब देखकर दिल दहल गया। मैं जल्दी घर लौटना चाहता था, लेकिन शाम तक इंतजार करना पड़ा,” उन्होंने कहा।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) से दोनों देशों के बीच शांति वार्ता कराने का आग्रह किया है। ह्यूमन राइट्स वॉच ने आबादी वाले क्षेत्रों में क्लस्टर मुनिशन्स के इस्तेमाल की निंदा की है और दोनों सरकारों से नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आह्वान किया है।
क्या होगा आगे?
दोनों देशों के बीच 800 किलोमीटर लंबी सीमा पर दशकों से तनाव रहा है, लेकिन पिछले विवाद सीमित और अल्पकालिक रहे हैं। मई में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत के बाद तनाव बढ़ गया था, जिसने राजनयिक संकट पैदा कर दिया और थाईलैंड की घरेलू राजनीति को हिला दिया।
अब सभी की नजरें दोनों देशों के नेताओं पर टिकी हैं कि क्या वे ट्रंप की मध्यस्थता के बाद स्थायी शांति स्थापित कर पाएंगे।
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