कोलकाता, 5 अगस्त 2025 – तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सुप्रीमो ममता बनर्जी की अध्यक्षता में हुई 12 मिनट की ऑनलाइन मीटिंग ने पार्टी में भूचाल ला दिया है। इस मीटिंग में संसदीय नेतृत्व में बड़े बदलाव किए गए, जिससे अभिषेक बनर्जी की स्थिति मजबूत हुई, जबकि वरिष्ठ नेताओं को हाशिए पर धकेल दिया गया। 2 अगस्त 2025 को हुई इस बैठक ने पार्टी के भीतर उत्साह और असंतोष दोनों को जन्म दिया है।
टीएमसी में सत्ता का बदलाव
ममता बनर्जी ने एक चौंकाने वाले फैसले में अपने भतीजे और डायमंड हार्बर से सांसद अभिषेक बनर्जी को लोकसभा में पार्टी का नेता नियुक्त किया। इस फैसले ने लंबे समय से ममता के विश्वासपात्र रहे सुदीप बंद्योपाध्याय को संसदीय दल के नेता के पद से हटा दिया। इसके अलावा, वरिष्ठ नेता कल्याण बनर्जी को लोकसभा में चीफ विप (मुख्य सचेतक) के पद से हटाकर उन्हें संसदीय समितियों में पार्टी का प्रतिनिधित्व करने की जिम्मेदारी दी गई।
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने इस मीटिंग को “12 मिनट का तूफान” करार दिया। माना जा रहा है कि ये बदलाव अभिषेक की रणनीति के अनुरूप हैं, जो टीएमसी को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करने और बंगाल से बाहर विस्तार करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
बदलाव के पीछे की वजह
यह फेरबदल ऐसे समय में हुआ है जब टीएमसी आंतरिक गतिशीलता और राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रही है। अभिषेक, जिन्हें ममता का राजनीतिक वारिस माना जाता है, लंबे समय से एक आधुनिक, युवा-केंद्रित और राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी टीएमसी की वकालत कर रहे हैं। लोकसभा में उनकी नियुक्ति उन्हें दिल्ली में पार्टी की छवि को नया आकार देने, INDIA गठबंधन के साथ समन्वय करने और मेघालय, त्रिपुरा, असम जैसे राज्यों में पार्टी का विस्तार करने का मौका देती है।
हालांकि, सुदीप और कल्याण जैसे वरिष्ठ नेताओं को हटाने से पार्टी में असंतोष की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। 2026 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले यह आंतरिक कलह टीएमसी के लिए चुनौती बन सकती है।
अभिषेक की जीत
37 वर्षीय अभिषेक बनर्जी इस फैसले से उत्साहित हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि वह इसे अपनी रणनीति की जीत के रूप में देखते हैं। उनकी नई भूमिका उन्हें दिल्ली में टीएमसी का चेहरा बनाती है, जहां उन्हें INDIA गठबंधन के साथ समन्वय और राष्ट्रीय मुद्दों पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का मुकाबला करने की जिम्मेदारी मिली है। उनके समर्थक इसे ममता के बाद पार्टी के भविष्य के नेता के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत करने वाला कदम मानते हैं।
“अभिषेक एक गतिशील और आक्रामक टीएमसी चाहते हैं,” एक पार्टी नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा। “यह फैसला ममता के भरोसे को दर्शाता है, लेकिन अब अभिषेक को अपनी काबिलियत साबित करनी होगी।”
वरिष्ठ नेताओं में बेचैनी
सुदीप बंद्योपाध्याय और कल्याण बनर्जी को हटाए जाने से उनके समर्थकों में नाराजगी है। कोलकाता उत्तर से चार बार के सांसद सुदीप, टीएमसी के गठन के समय से ममता के करीबी रहे हैं। उनकी जगह अभिषेक की नियुक्ति को कई लोग पुराने नेताओं की अनदेखी के रूप में देख रहे हैं। कल्याण बनर्जी, जो अपने तीखे संसदीय भाषणों के लिए जाने जाते हैं, को कम महत्वपूर्ण भूमिका में धकेले जाने से नाराज बताए जा रहे हैं।
“वरिष्ठ नेताओं में असंतोष है,” एक टीएमसी सांसद ने गोपनीयता की शर्त पर कहा। “सुदीप और कल्याण पार्टी के स्तंभ रहे हैं। यह असंतोष बढ़ सकता है।”
ममता-अभिषेक का समीकरण
पिछले कुछ समय से ममता और अभिषेक के बीच मतभेद की खबरें थीं, खासकर राष्ट्रीय रणनीति को लेकर। ममता का फोकस बंगाल-केंद्रित राजनीति पर रहा है, जबकि अभिषेक राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की मौजूदगी बढ़ाना चाहते हैं। इस मीटिंग ने इन अटकलों को विराम दे दिया। ममता ने अभिषेक को दिल्ली की कमान सौंपकर और बंगाल में अपनी पकड़ बनाए रखकर एक रणनीतिक संतुलन बनाया है।
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. सुमन चटर्जी कहते हैं, “यह एक व्यावहारिक कदम है। ममता ने अभिषेक को दिल्ली की जिम्मेदारी देकर उनके साथ तालमेल दिखाया है, लेकिन बंगाल उनका गढ़ बना रहेगा। चुनौती अब वरिष्ठ नेताओं के असंतोष को संभालने की होगी।”
टीएमसी के लिए आगे क्या?
इस नेतृत्व फेरबदल के व्यापक प्रभाव होंगे:
- राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा: 2024 के लोकसभा चुनाव में बंगाल में 29 सीटें जीतने के बाद, अभिषेक की अगुवाई में टीएमसी अब INDIA गठबंधन में अपनी स्थिति को और मजबूत करेगी। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और अन्य सहयोगियों के साथ उनकी बातचीत महत्वपूर्ण होगी।
- पार्टी में एकता: ममता को वरिष्ठ नेताओं के असंतोष को शांत करना होगा ताकि 2026 के चुनाव में पार्टी एकजुट रहे। किसी भी तरह की गुटबाजी टीएमसी की स्थिति को कमजोर कर सकती है।
- अभिषेक की अग्निपरीक्षा: युवा नेता को अब अपनी काबिलियत साबित करनी होगी। संसदीय जिम्मेदारियों, गठबंधन प्रबंधन और पार्टी विस्तार में उनकी सफलता उनके राष्ट्रीय नेता के रूप में उभरने को तय करेगी।
प्रतिक्रियाएं और अटकलें
पार्टी के भीतर और बाहर इस फैसले को लेकर चर्चा जोरों पर है। अभिषेक के समर्थक, खासकर युवा विंग, इसे पार्टी को आधुनिक बनाने की दिशा में बड़ा कदम मान रहे हैं। वहीं, सुदीप और कल्याण ने अभी तक कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की है। X पर कुछ पोस्ट्स में इस मीटिंग को “गेम-चेंजर” बताया गया, तो कुछ ने “आंतरिक तूफान” की चेतावनी दी।
जैसे-जैसे स्थिति स्पष्ट हो रही है, ममता और अभिषेक की जोड़ी पर सभी की नजरें हैं। यह 12 मिनट की मीटिंग न केवल टीएमसी के नेतृत्व को नया आकार दे चुकी है, बल्कि आने वाले महीनों में एक बड़े राजनीतिक ड्रामे का मंच भी तैयार कर चुकी है।
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