मुंबई, 4 अगस्त 2025 – रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक आज, 4 अगस्त 2025 को शुरू हुई है, और बाजार में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि RBI रेपो रेट में कटौती की घोषणा कर सकता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि रेपो रेट, जो वर्तमान में 5.5% है, को 25 बेसिस पॉइंट्स घटाकर 5.25% किया जा सकता है। यदि ऐसा होता है, तो यह त्योहारी सीजन से पहले उपभोक्ताओं के लिए बड़ी राहत हो सकता है, क्योंकि होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन की EMI कम हो सकती है।
क्यों है कटौती की उम्मीद?
हाल के आर्थिक आंकड़ों और X पर चल रही चर्चाओं के अनुसार, कई कारक RBI के इस संभावित निर्णय को प्रभावित कर रहे हैं:
- मुद्रास्फीति में नरमी: ICICI बैंक के विश्लेषण के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 2.9% है, जो RBI के 3.7% के अनुमान से काफी कम है। कम मुद्रास्फीति RBI को ब्याज दरें कम करने का अवसर देती है।
- आर्थिक मांग में असंतुलन: शहरी क्षेत्रों में उपभोक्ता मांग में कमी देखी जा रही है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में मांग मजबूत बनी हुई है। रेपो रेट में कटौती से खासकर त्योहारी सीजन में मांग को बढ़ावा मिल सकता है।
- वैश्विक रुझान: कई वैश्विक केंद्रीय बैंक, जैसे अमेरिका का फेडरल रिजर्व, हाल ही में ब्याज दरों में कटौती कर चुके हैं। यह RBI के निर्णय को प्रभावित कर सकता है।
EMI पर क्या होगा असर?
रेपो रेट वह दर है, जिस पर RBI बैंकों को उधार देता है। इस दर में कटौती से बैंकों की उधार लेने की लागत कम होती है, जिसका लाभ वे ग्राहकों तक कम ब्याज दरों के रूप में पहुंचा सकते हैं। खासकर External Benchmark Lending Rate (EBLR) से जुड़े फ्लोटिंग रेट लोन, जैसे होम और ऑटो लोन, पर इसका सीधा असर पड़ता है।
उदाहरण के लिए, 50 लाख रुपये के 20 साल के होम लोन पर 8.5% ब्याज दर के साथ मासिक EMI लगभग 43,400 रुपये है। अगर ब्याज दर 0.25% घटकर 8.25% हो जाती है, तो EMI लगभग 42,800 रुपये हो सकती है। यह छोटी बचत लंबे समय में हजारों रुपये की बचत करा सकती है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि बैंक पूरे लाभ को तुरंत ग्राहकों तक नहीं पहुंचाते, और EMI में कमी कुछ हफ्तों या महीनों बाद दिखाई दे सकती है।
त्योहारी सीजन के लिए राहत
दिवाली और दशहरा जैसे त्योहारों के दौरान उपभोक्ता खर्च में तेजी आती है। लोग कार, घर, और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी बड़ी खरीदारी के लिए लोन लेते हैं। कम EMI से उपभोक्ताओं का बोझ कम होगा, जिससे उनकी खरीदारी की क्षमता बढ़ेगी। यह न केवल उपभोक्ताओं, बल्कि ऑटोमोबाइल, रियल एस्टेट और रिटेल जैसे क्षेत्रों के लिए भी अच्छी खबर है।
FD निवेशकों के लिए चिंता
हालांकि, रेपो रेट में कटौती का दूसरा पहलू यह है कि फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और अन्य बचत योजनाओं की ब्याज दरें भी कम हो सकती हैं। इससे उन निवेशकों को नुकसान हो सकता है जो अपनी बचत को FD में निवेश करते हैं। विशेषज्ञ सलाह दे रहे हैं कि अगर आप FD में निवेश की योजना बना रहे हैं, तो मौजूदा उच्च ब्याज दरों का लाभ उठाने के लिए जल्दी निवेश करें।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
आर्थिक विश्लेषक और X पर सक्रिय कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि RBI इस बार रेपो रेट में कटौती करेगा, क्योंकि आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने की जरूरत है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि RBI सतर्क रुख अपना सकता है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं जोखिम पैदा कर सकती हैं।
आधिकारिक घोषणा का इंतजार
RBI की मौद्रिक नीति समिति की बैठक 6 अगस्त तक चलेगी, और अंतिम निर्णय 7 अगस्त 2025 को सुबह 10 बजे घोषित होने की उम्मीद है। तब तक बाजार और उपभोक्ता इस खबर का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। अगर रेपो रेट में कटौती होती है, तो यह त्योहारी सीजन को और भी रंगीन बना सकता है।
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