नई दिल्ली, 5 अगस्त 2025 – संसद का मॉनसून सत्र 2025 अपनी शुरुआत से ही तनाव और व्यवधानों का केंद्र रहा है। इस सत्र में विपक्ष, विशेष रूप से राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में, ने सरकार पर कई मुद्दों को लेकर तीखा हमला बोला है। पाहलगाम आतंकी हमले, ऑपरेशन सिंदूर, बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (SIR), और संसद में सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती जैसे मुद्दों ने सत्र को हंगामेदार बना दिया। खड़गे के बयान, “विरोध करना हमारा अधिकार है,” ने विपक्ष की आक्रामक रणनीति को रेखांकित किया।
पाहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर बहस
21 जुलाई से शुरू हुए मॉनसून सत्र में पाहलगाम आतंकी हमले और इसके जवाब में भारतीय सेना द्वारा 7 मई को शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर पर दो दिनों तक तीखी बहस हुई। 22 अप्रैल को हुए पाहलगाम हमले में 26 नागरिकों की मौत हो गई थी, जिसे विपक्ष ने सुरक्षा चूक का परिणाम बताया। खड़गे ने गृह मंत्री अमित शाह से इस हमले की जिम्मेदारी लेने और इस्तीफे की मांग की, साथ ही जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के बयान का हवाला देते हुए इसे “प्रमुख सुरक्षा चूक” करार दिया। उन्होंने पूछा कि क्या सरकार को हमले की पहले से जानकारी थी, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमले से तीन दिन पहले अपनी予定 यात्रा रद्द कर दी थी।
ऑपरेशन सिंदूर, जिसके तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया और 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया, पर भी विपक्ष ने सवाल उठाए। खड़गे ने ऑपरेशन के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्धविराम समझौते पर सवाल उठाते हुए कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 29 बार दावा किया कि उन्होंने इस युद्धविराम में मध्यस्थता की, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इस पर चुप्पी साध रखी है। विपक्ष ने इसे भारत की संप्रभुता पर सवाल उठाने वाला बताया।
गृह मंत्री अमित शाह ने ऑपरेशन महादेव का जिक्र करते हुए कहा कि इस ऑपरेशन में पाहलगाम हमले के तीन आतंकवादियों को मार गिराया गया, जिनका संबंध लश्कर-ए-तैयबा से था। उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को छोड़ दिया था, और अब इसे वापस लेना उनकी जिम्मेदारी है।
बिहार में मतदाता सूची संशोधन (SIR) पर हंगामा
विपक्ष ने बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (SIR) को लेकर सरकार और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, सपा, और अन्य विपक्षी दलों ने दावा किया कि इस प्रक्रिया में लाखों मतदाताओं, विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले समुदायों, के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं। टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने इसे “साइलेंट इनविजिबल रिगिंग” करार दिया। विपक्ष ने इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की और इसके लिए नियम 267 के तहत नोटिस दिया, लेकिन लोकसभा और राज्यसभा के सभापतियों ने इसकी अनुमति नहीं दी, जिसके चलते दोनों सदनों में बार-बार व्यवधान हुआ।
विपक्षी दलों ने संसद परिसर में मकर द्वार के सामने “हमारा वोट, हमारा अधिकार, हमारी लड़ाई” के नारे के साथ विरोध प्रदर्शन किया। खड़गे और राहुल गांधी सहित इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाई और सरकार पर चुनाव आयोग को अपने पक्ष में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।
सीआईएसएफ की तैनाती पर विवाद
मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा में सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती को लेकर तीखा विरोध जताया। उन्होंने कहा कि विपक्ष के विरोध को दबाने के लिए सशस्त्र बलों का उपयोग करना संसदीय परंपराओं और लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन है। खड़गे ने पूर्व विपक्षी नेताओं अरुण जेटली और सुषमा स्वराज का हवाला देते हुए कहा कि विरोध करना भी लोकतांत्रिक अधिकार है। उन्होंने इस मुद्दे पर उपसभापति हरिवंश को पत्र लिखा, लेकिन पत्र के मीडिया में लीक होने पर विवाद और बढ़ गया। सरकार और सभापति ने दावा किया कि सदन में केवल मार्शल मौजूद थे, न कि सीआईएसएफ कर्मी।
खड़गे और नड्डा के बीच तीखी नोकझोंक
ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के दौरान खड़गे और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के बीच तीखी बहस हुई। खड़गे ने प्रधानमंत्री मोदी की राज्यसभा में अनुपस्थिति को “सदन का अपमान” बताया और कहा कि जब महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हो रही है, तब पीएम को सदन में जवाब देना चाहिए। नड्डा ने खड़गे के बयानों को “अप्रमाणित” करार देते हुए उन्हें वापस लेने को कहा और व्यक्तिगत टिप्पणी की, जिसे बाद में उन्होंने वापस ले लिया। खड़गे ने इसे “शर्मनाक” बताते हुए नड्डा से माफी की मांग की, जिसके बाद नड्डा ने औपचारिक रूप से माफी मांगी।
प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति और विपक्ष का हमला
विपक्ष ने बार-बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राज्यसभा में अनुपस्थिति पर सवाल उठाए। खड़गे ने कहा कि जब ऑपरेशन सिंदूर जैसे राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे पर बहस हो रही थी, तब पीएम संसद परिसर में मौजूद थे, फिर भी सदन में नहीं आए। विपक्षी सांसदों ने “पीएम को बुलाओ” के नारे लगाए और अमित शाह के जवाब के दौरान वॉकआउट किया। खड़गे ने यह भी आरोप लगाया कि उनके और राहुल गांधी द्वारा पाहलगाम हमले पर विशेष सत्र की मांग वाला पत्र सरकार ने “कूड़ेदान में फेंक दिया।”
सरकार का जवाब
प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर को “आत्मनिर्भर भारत” की ताकत का प्रतीक बताया और कहा कि भारतीय सेना ने स्वदेशी ड्रोनों और मिसाइलों का उपयोग कर पाकिस्तान के हथियारों की सीमाओं को उजागर किया। उन्होंने कांग्रेस पर आतंकवाद के खिलाफ नरम रुख अपनाने और राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर करने का आरोप लगाया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पाहलगाम हमले ने “रेड लाइन” पार की थी और भारत ने इंडस वाटर संधि को निलंबित कर पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया।
सत्र का निष्कर्ष
मॉनसून सत्र में पाहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर दो दिनों की बहस को छोड़कर, अधिकांश समय व्यवधानों में बीता। बिहार SIR, मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के विस्तार, और अन्य विधायी मुद्दों पर चर्चा बाधित रही। विपक्ष की एकजुटता और खड़गे की आक्रामक नेतृत्व ने सरकार को रक्षात्मक स्थिति में ला दिया, लेकिन बार-बार स्थगन के कारण कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सार्थक चर्चा नहीं हो सकी। सत्र का माहौल विपक्ष और सरकार के बीच गहरे टकराव को दर्शाता है, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा, लोकतांत्रिक अधिकार, और चुनावी प्रक्रिया जैसे मुद्दे केंद्र में रहे।
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