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पुरानी बनाम नई आयकर व्यवस्था: कौन सी है आपके लिए बेहतर? (FY 2024-25)

करदाताओं के लिए यह समझना बेहद जरूरी है कि पुरानी और नई आयकर व्यवस्था में क्या अंतर है। वित्त वर्ष 2024-25 से नई व्यवस्था डिफ़ॉल्ट बन गई है, लेकिन आपके पास पुरानी व्यवस्था चुनने का विकल्प है। आइए, दोनों के मुख्य अंतरों को सरल हिंदी में समझें:


🔑 मुख्य अंतर सारांश

  1. डिफ़ॉल्ट स्थिति:
    • नई व्यवस्था अब डिफ़ॉल्ट है। अगर आप कुछ नहीं करते, तो यही लागू होगी।
    • पुरानी व्यवस्था चुनने के लिए आपको सक्रिय रूप से ऑप्ट करना होगा।
  2. कर दरें बनाम कटौतियाँ:
    • पुरानी व्यवस्था: अपेक्षाकृत उच्च कर दरें, लेकिन कई कटौतियाँ और छूट उपलब्ध (जैसे HRA, धारा 80C, 80D, होम लोन ब्याज कटौती)।
    • नई व्यवस्था: कम कर दरें, लेकिन कटौतियाँ बहुत सीमित (HRA और ज्यादातर धारा 80C कटौतियाँ नहीं मिलेंगी)।
  3. वरिष्ठ नागरिकों के लिए छूट:
    • पुरानी व्यवस्था: 60-80 वर्ष: ₹3,00,000 तक छूट। 80+ वर्ष: ₹5,00,000 तक छूट।
    • नई व्यवस्था: सभी के लिए कुल आय ₹7,00,000 तक कर मुक्त (अधिक रिबेट के कारण)।
  4. रिबेट (धारा 87A):
    • पुरानी व्यवस्था: आय ≤ ₹5,00,000 पर अधिकतम ₹12,500 की छूट।
    • नई व्यवस्था: आय ≤ ₹7,00,000 पर अधिकतम ₹25,000 की छूट।
  5. मानक कटौती: दोनों व्यवस्थाओं में ₹50,000 का मानक कटौती उपलब्ध है।

📊 कर स्लैब तुलना (FY 2024-25)

आय सीमा (₹)पुरानी व्यवस्था (कर दर)नई व्यवस्था (कर दर)
0 – 3,00,0000%0%
3,00,001 – 5,00,0005%5%
5,00,001 – 6,00,00020%5%
6,00,001 – 9,00,00020%10%
9,00,001 – 10,00,00020%15%
10,00,001 – 12,00,00030%15%
12,00,001 – 15,00,00030%20%
> 15,00,00030%30%

नोट: नई व्यवस्था में सीमाएँ संचयी हैं। पुरानी व्यवस्था में ₹10 लाख से ऊपर की आय पर 4% स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर भी लगता है।


✂️ कटौतियाँ और छूट: कहाँ क्या मिलता है?

कटौती/छूट का प्रकारपुरानी व्यवस्थानई व्यवस्थाटिप्पणी
धारा 80C (PPF, ELSS, LIC आदि)पुरानी में ₹1.5 लाख तक कटौती
धारा 80D (स्वास्थ्य बीमा)पुरानी में स्व/परिवार के लिए प्रीमियम पर
HRA छूट (धारा 10(13A))किराएदार कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण
होम लोन ब्याज कटौतीस्व-कब्जे वाले घर के लिए (₹2 लाख तक)
मानक कटौतीदोनों में ₹50,000
नियोक्ता का NPS योगदान (80CCD(2))दोनों में उपलब्ध
अन्य विशिष्ट कटौतियाँ (80G, 80E आदि)पुरानी व्यवस्था में ही संभव

👵 वरिष्ठ नागरिकों के लिए खास बातें

  • पुरानी व्यवस्था: 60-80 वर्ष के लिए ₹3 लाख, 80+ वर्ष के लिए ₹5 लाख तक की आय करमुक्त।
  • नई व्यवस्था: ₹7 लाख तक की कुल आय पूरी तरह करमुक्त (धारा 87A रिबेट के कारण)। यह वरिष्ठ नागरिकों के लिए, खासकर जिनकी आय मध्यम है और कटौतियाँ कम हैं, बहुत फायदेमंद हो सकती है।

🔄 व्यवस्था कैसे चुनें और बदलें?

  1. डिफ़ॉल्ट: नई व्यवस्था (अगर कुछ न करें तो)।
  2. पुरानी व्यवस्था चुनना:
    • वेतनभोगी/गैर-व्यवसायिक आय: सीधे ITR भरते समय चुन सकते हैं। फॉर्म 10-IEA की जरूरत नहीं।
    • व्यवसाय/पेशे से आय: ITR की ड्यू डेट से पहले फॉर्म 10-IEA जमा करना अनिवार्य।
  3. नियोक्ता को सूचित करें: साल की शुरुआत में ही बता दें कि कौन-सी व्यवस्था चुन रहे हैं। न बताने पर नई व्यवस्था मानी जाएगी और TDS उसी हिसाब से कटेगा।
  4. स्विचिंग (बदलने के नियम):
    • केवल वेतन/गैर-व्यवसायिक आय: हर साल बदल सकते हैं। इस साल नई, अगले साल पुरानी चुन सकते हैं।
    • व्यवसाय/पेशे से आय: सिर्फ एक बार नई व्यवस्था से बाहर आ सकते हैं। अगर वापस नई में जाना चाहें तो भी सिर्फ एक बार ही जा सकते हैं। एक बार दोबारा नई में जाने के बाद फिर कभी पुरानी व्यवस्था नहीं चुन सकते।

🤔 कौन सी व्यवस्था आपके लिए बेहतर है? निर्णय कैसे लें?

  1. नई व्यवस्था चुनें अगर:
    • आपकी कुल आय कम या मध्यम है (विशेषकर ₹7.5 लाख से कम)।
    • आप कम निवेश करते हैं या कटौतियों का पूरा लाभ नहीं ले पाते (जैसे HRA नहीं मिलता, होम लोन नहीं है)।
    • आप सादगी पसंद करते हैं और कई कागजी कार्रवाई से बचना चाहते हैं।
  2. पुरानी व्यवस्था चुनें अगर:
    • आपकी आय अधिक है।
    • आप भारी मात्रा में निवेश करते हैं (PPF, ELSS, बीमा प्रीमियम आदि)।
    • आपको HRA का पूरा लाभ मिलता है।
    • आपने घर के लिए लोन लिया है और ब्याज कटौती का दावा कर सकते हैं।
    • आप अन्य कटौतियों (जैसे दान 80G, शिक्षा ऋण ब्याज 80E) का लाभ लेते हैं।

सुनहरा नियम: अपनी कुल कर योग्य आय और उपलब्ध कटौतियों का मूल्य दोनों व्यवस्थाओं में कैलकुलेट करके तुलना करें! कई ऑनलाइन टैक्स कैलकुलेटर इस में मदद कर सकते हैं।


⚠️ अहम सलाह

  • व्यवसायिक आय वाले सावधान! पुरानी व्यवस्था में वापस जाने का विकल्प सिर्फ एक बार ही है। दीर्घकालिक योजना बनाकर ही निर्णय लें।
  • नियोक्ता को समय पर सूचित करें: TDS सही कटे, इसके लिए जरूरी है।
  • जटिल मामलों में विशेषज्ञ की सलाह लें: अगर आपकी आय के स्रोत जटिल हैं या आपको समझ नहीं आ रहा, तो किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) से परामर्श जरूर करें।

📌 नोट: यह जानकारी वित्त वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) पर आधारित है। आधिकारिक विवरण और अपडेट के लिए हमेशा आयकर विभाग की वेबसाइट (https://www.incometax.gov.in) देखें या किसी कर विशेषज्ञ से सलाह लें।

कर बचाना चाहते हैं? अपनी आय और निवेश को ध्यान से देखें, दोनों व्यवस्थाओं में कैलकुलेशन करें, और फिर सही विकल्प चुनें! 💰

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