मध्य पूर्व एक बार फिर धधक रहा है! ईरान और इजरायल के बीच तनाव ने 2025 में एक खतरनाक मोड़ ले लिया है। यह सिर्फ दो देशों का झगड़ा नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता का सबब बन चुका है। चलिए, इस जटिल संकट की हर परत को समझते हैं – ऐतिहासिक दुश्मनी से लेकर 2025 के खूनी हमलों तक।
🔥 ऐतिहासिक नफरत की जड़ें: 1979 की क्रांति ने बदल दिया खेल
- शाह का ज़माना: 1979 से पहले ईरान (शाह के शासन में) और इजरायल दोस्त थे। रिश्ते मजबूत थे।
- इस्लामी क्रांति का भूचाल: अयातुल्ला खोमैनी की क्रांति ने सब बदल दिया। नए इस्लामी गणतंत्र ने इजरायल को “अवैध ज़ायोनी शासन” करार दिया और उसके विनाश का ऐलान कर दिया।
- दोस्त से दुश्मन बन गया इजरायल: तब से ईरान इजरायल का सबसे बड़ा दुश्मन है। इजरायल भी ईरान के परमाणु सपने और उसकी क्षेत्रीय ताकत को अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानता है।
💣 2025: जंग की आग में झुलसता मध्य पूर्व (प्रमुख कारण)
- ईरान का परमाणु सपना (और इजरायल का डर):
- इजरायल और पश्चात को डर है कि ईरान परमाणु बम बना रहा है। ईरान कहता है कि उसका कार्यक्रम बिजली और दवा बनाने जैसे शांतिपूर्ण कामों के लिए है।
- इजरायल की नीति साफ है: पड़ोस में किसी को भी परमाणु हथियार बनाने नहीं देना। उसने 1981 में इराक और 2007 में सीरिया के रिएक्टर उड़ा दिए थे।
- 2025 में धमाके: इजरायल और अमेरिका ने फोर्डो, नतांज और इस्फहान जैसे ईरानी परमाणु ठिकानों पर सीधे हमले किए। तनाव आसमान पर पहुंच गया!
- हवा में गूंजती मिसाइलें और दर्दनाक मौतें:
- इजरायल ने तेहरान, इस्फहान, फोर्डो पर हवाई हमले किए। ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख हुसैन सलामी और कई परमाणु वैज्ञानिक मारे गए।
- ईरान का जवाबी हमला: ईरान ने तेल अवीव, हाइफा, बीर शेवा पर बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन दागे। तेल अवीव के सोरोका मेडिकल सेंटर पर हमले में 25 लोगों की मौत जैसी घटनाओं ने दुनिया को हिला दिया।
- अमेरिका का बड़ा हस्तक्षेप – “ऑपरेशन मिडनाइट हैमर”:
- 22 जून 2025 को अमेरिका ने घातक B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स से ईरानी परमाणु साइट्स पर भीषण हमला किया। अमेरिका का दावा – ईरान का परमाणु कार्यक्रम “वर्षों पीछे” चला गया।
- ईरान का दावा: सर्वोच्च नेता खामेनेई बोले – “नुकसान नगण्य है। हमारा संकल्प दोगुना हुआ है!” सच क्या है? यह आज भी बहस का विषय है।
- छाया युद्ध (प्रॉक्सी वॉर) का खेल:
- ईरान हिजबुल्लाह (लेबनान), हमास (गाजा), हूथी (यमन) जैसे गुटों को हथियार और पैसा देता है। ये गुट इजरायल और अमेरिकी हितों पर हमला करते हैं।
- लाल सागर में हूथी हमले, इजरायल पर रॉकेट बरसाना – ये सब ईरानी समर्थन से ही हो रहा है। इजरायल भी सीरिया-लेबनान में ईरानी ठिकानों पर मिसाइलें दाग रहा है।
⚡ अयातुल्ला खामेनेई पर विवादित आरोप: सच या प्रोपेगैंडा?
- जुलाई 2025 में एक फारसी ट्विटर अकाउंट (जिसे मोसाद से जोड़ा गया) ने बमुश्किल विश्वसनीय दावा किया कि खामेनेई “नशे के आदी” हैं और “अधिकांश दिन सोने या नशे में गुजारते हैं।”
- इजरायली रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने उन्हें “डरपोक तानाशाह” कहकर निशाना बनाया।
- विश्लेषकों की राय: ज्यादातर मानते हैं कि ये इजरायल की “साइकोलॉजिकल वारफेयर” (मनोवैज्ञानिक युद्ध) का हिस्सा है। बिना ठोस सबूत, इन दावों को सिर्फ प्रोपेगैंडा माना जा रहा है। मकसद? ईरानी नेतृत्व को कमजोर और जनता में असंतोष दिखाना।
📢 2025 का 12-दिवसीय भीषण युद्ध: तबाही का आलम
- मानवीय कीमत: ईरान में 657-800 लोग मारे गए (263 से ज्यादा निर्दोष नागरिक)। इजरायल में 24-30 नागरिकों की जान गई।
- आर्थिक तबाही: ईरान को 150-200 अरब डॉलर, इजरायल को 12 अरब डॉलर का नुकसान।
- परमाणु ठिकाने तबाह: नतांज, फोर्डो, पार्चिन जैसे ठिकाने निशाने पर। तेल अवीव और हाइफा का बुनियादी ढांचा ध्वस्त।
- ईरान का प्रतीकात्मक जवाब: कोम की जामकरान मस्जिद पर लाल झंडा (बदले का प्रतीक) फहराया गया। राष्ट्रपति पजशकियान ने कहा – “इजरायल को पछताना पड़ेगा!”
🌍 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: दुनिया की चिंता
- संयुक्त राष्ट्र में हंगामा: सुरक्षा परिषद की आपात बैठक। ईरान, रूस, चीन, पाकिस्तान ने अमेरिका-इजरायल की निंदा की।
- भारत की आवाज: शांति और कूटनीति की पुकार लगाई। क्षेत्रीय स्थिरता में अपनी भूमिका पर जोर दिया।
- खाड़ी देशों की चिंता: सऊदी अरब, UAE जैसे देश ईरान की मिसाइल ताकत से सहमे हुए हैं।
☮️ कूटनीतिक कोशिशें: तूफान में शांति की किरण?
- पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जून 2025 में 12 घंटे के युद्धविराम की मध्यस्थता की।
- लेकिन दोनों पक्षों पर दूसरे ने युद्धविराम तोड़ने का आरोप लगाया।
- गहरा अविश्वास और प्रॉक्सी गुटों की हिंसा (हिजबुल्लाह, हूथी) ने शांति की राह में रोड़े अटकाए रखे।
🔮 भविष्य क्या है? अनिश्चितता का साया
- परमाणु कार्यक्रम पर असर? अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट्स कहती हैं – हमलों से ईरान का कार्यक्रम सिर्फ 6 महीने पीछे हुआ! फोर्डो जैसी गहरी सुरंगें पूरी तरह नष्ट नहीं हुईं। ईरान ने हमले से पहले ही ज्यादातर संवर्धित यूरेनियम (400 किलो से ज्यादा!) गुप्त जगहों पर पहुंचा दिया था।
- विशेषज्ञों की चेतावनी: मिडलबरी इंस्टीट्यूट के जेफ्री लुइस और डेविड ऑलब्राइट जैसे विशेषज्ञ मानते हैं – ईरान जल्द ही वापसी कर सकता है। स्थायी समाधान सिर्फ कूटनीति और कड़े अंतरराष्ट्रीय निरीक्षण से ही संभव है।
- खतरा बरकरार: दोनों देशों के बीच गहरा अविश्वास, प्रॉक्सी गुटों की भूमिका और परमाणु हथियारों की दौड़ का खतरा मध्य पूर्व को अगले बड़े धमाके की ओर धकेल रहा है।
निष्कर्ष: शांति की गुहार बनाम युद्ध की आशंका
ईरान-इजरायल संघर्ष सिर्फ दो देशों का मामला नहीं रहा। यह पूरी दुनिया की सुरक्षा के लिए खतरा है। 2025 में हुए हमलों ने तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है। परमाणु ठिकानों को निशाना बनाना तकनीकी रूप से जटिल था, और पूरी सफलता नहीं मिली। खामेनेई पर लगे विवादित आरोप सच हों या न हों, वे तनाव बढ़ाने का हथियार जरूर हैं।
भारत जैसे देशों की शांति की अपील और ट्रम्प की मध्यस्थता जैसे प्रयास उम्मीद की किरण जगाते हैं। लेकिन सवाल बना हुआ है: क्या दुश्मनी के इस गहरे साये में कूटनीति की रोशनी जीत पाएगी? या फिर मध्य पूर्व एक और भयानक जंग की भेंट चढ़ जाएगा?
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