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धर्मस्थला 1986 में बहन के ‘बलात्कार-हत्या’ की फिर से जाँच चाहतीं इंद्रावती, SIT के पास पहुँचीं

धर्मस्थल, कर्नाटक: यह नाम भक्तों के लिए शांति और आस्था का प्रतीक है। लेकिन पिछले कुछ समय से, यह मंदिर नगरी बलात्कार, हत्या और गुप्त दफ़न के सनसनीखेज आरोपों के केंद्र में है। एक पूर्व सफाई कर्मचारी के खुलासे ने ऐसे भयावह रहस्यों से पर्दा उठाया है, जो दशकों से ज़मीन में दबे थे। और अब, 1986 के एक दर्दनाक मामले में न्याय की माँग फिर से ज़ोर पकड़ रही है।

धर्मस्थल गुप्त दफ़न मामला: एक संक्षिप्त जानकारी

  • आरोपों का सिलसिला: 2024 में, एक पूर्व सफाई कर्मचारी (1995-2014) ने पुलिस को शिकायत दर्ज कराई। उसने आरोप लगाया कि उसे धमकियों के तहत 100 से अधिक शवों को गुप्त रूप से दफ़नाने या जलाने के लिए मजबूर किया गया। इनमें से कई शवों पर हिंसा और बलात्कार के निशान थे।
  • पीड़ित: अधिकांश महिलाएँ बताई जा रही हैं।
  • सबूत: उसने कंकालों के अवशेषों की तस्वीरें पेश कीं और मंदिर प्रशासन से जुड़े प्रभावशाली लोगों के नाम लिए।
  • कार्रवाई: 4 जुलाई, 2024 को FIR दर्ज हुई। एक विशेष जाँच दल (SIT) गठित किया गया, जिसे बेल्थंगड़ी में पुलिस स्टेशन के अधिकार दिए गए।
  • वर्तमान हालात: SIT ने कई स्थानों का निरीक्षण किया है। दो जगहों से कंकाल के टुकड़े बरामद हुए हैं। आगे की तलाश के लिए ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार का इस्तेमाल हो रहा है।
  • माँगें: कार्यकर्ता और महिला संगठन (जैसे AIDWA) निष्पक्ष जाँच की माँग कर रहे हैं। वे 2012 में सोजन्या के बलात्कार-हत्या और 2003 में MBBS छात्रा अनन्या भट के गायब होने जैसे पुराने मामलों की फिर से जाँच चाहते हैं।

नया विकास: 1986 के पद्मलता मामले की फिर से जाँच की गुहार

11 अगस्त, 2025 को, नेल्याडी की रहने वाली इंद्रावती (इंद्रवती) अपनी बहन, पद्मलता के साथ हुए अपहरण, बलात्कार और हत्या के 1986 के मामले की ताज़ा जाँच की माँग लेकर बेल्थंगड़ी में SIT कार्यालय पहुँचीं। उनके साथ CPI(M) नेता बी.एम. भट और अन्य लोग थे।

  • इंद्रावती की माँगें:
    • पद्मलता के अवशेषों का पोस्टमार्टम: परिवार ने भविष्य में सबूतों के लिए शव को दफ़नाने का फैसला किया था (दाह संस्कार नहीं किया)। अब उन्हें बाहर निकालकर फोरेंसिक जाँच कराना चाहती हैं।
    • नई विस्तृत जाँच: अपराधियों की पहचान कर उन पर मुकदमा चलाना।
    • बड़े मामले से जोड़ना: इस मामले को व्यापक धर्मस्थल गुप्त दफ़न जाँच से जोड़ा जाए, क्योंकि यहाँ भी ऐसे ही अपराधों का पैटर्न दिखता है।
  • इंद्रावती की तैयारी: वह गवाह के तौर पर बयान देने और जरूरी सबूत देने को तैयार हैं।

यह घटना ऐसे समय हुई है जब SIT की जाँच जारी है, जिसमें यूट्यूबर्स और स्थानीय लोगों के बीच झड़प (6 अगस्त, 2025) जैसी बाधाएँ भी आई हैं।

1986 का पद्मलता बलात्कार-हत्या मामला: दर्दनाक इतिहास

  • पीड़िता: पद्मलता, उजीरे के SDM कॉलेज में कक्षा 12 (PUC) की 17 वर्षीय छात्रा। धर्मस्थल के पास बोलियारु गाँव की रहने वाली।
  • घटना: 22 दिसंबर, 1986 को धर्मस्थला इलाके में वह गायब हो गईं।
  • शव मिलना: लगभग दो महीने बाद, 17 फरवरी, 1987 को नेरिया नाले के पास उनका सड़ा हुआ शव मिला।
  • परिवार का आरोप: उनका अपहरण, बलात्कार और हत्या हुई।
  • प्रारंभिक हलचल:
    • पद्मलता के पिता, स्वर्गीय देवानंद (CPI(M) नेता), ने न्याय की माँग को लेकर जन आंदोलन चलाया।
    • दबाव के बाद तत्कालीन कर्नाटक सरकार ने अपराध अनुसंधान दल (COD, अब CID) से जाँच करवाई।
    • मामला विधानसभा में उठा। तत्कालीन मंत्री राचैया ने परिवार से मुलाकात कर कार्रवाई का आश्वासन दिया।
  • निराशाजनक परिणाम: कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। पुलिस ने “अनसुलझा” (Undetected) बताते हुए मामला बंद कर दिया। क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी गई। परिवार को न्याय नहीं मिला।

इंद्रावती का कहना है कि न्याय न मिलना और हालिया गुप्त दफ़न के खुलासे उन्हें मामला फिर से खुलवाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनके पिता का संघर्ष अनसुना रह गया।

कनेक्शन और व्यापक प्रभाव: इतिहास खुद को दोहराता है?

1986 का यह मामला धर्मस्थल में शक्तिशाली लोगों द्वारा दबा दिए गए अपराधों की एक लंबी श्रृंखला का हिस्सा लगता है:

  • सोजन्या मामला (2012): इस बलात्कार-हत्या में भी सबूतों के साथ छेड़छाड़ के आरोप लगे। फिर से जाँच की माँग हो रही है।
  • अनन्या भट मामला (2003): इस MBBS छात्रा की माँ ने हाल ही में नई शिकायत दर्ज कराई है। उन्हें शक है कि 2003 में धर्मस्थल कॉलेज ट्रिप के दौरान उनकी बेटी का गायब होना इन गुप्त दफ़न से जुड़ा हो सकता है।

महिला संगठनों (जैसे AIDWA) का आरोप है कि पिछली जाँचें प्रभावशाली संस्थाओं के पक्ष में पक्षपातपूर्ण रहीं। वे चाहते हैं कि SIT अपने दायरे में पद्मलता जैसी हत्याओं को शामिल करे और पूर्ण निष्पक्षता सुनिश्चित करे।

12 अगस्त, 2025 तक: SIT अपना काम जारी रखे हुए है, लेकिन इंद्रावती की याचिका पर इसके अलावा कोई खास अद्यतन सामने नहीं आया है।

निष्कर्ष: सवाल पूरे देश के लिए

धर्मस्थल का यह संकट सिर्फ़ एक जगह की कहानी नहीं है। यह न्याय प्रणाली में गहरी पैठ बनाए असमानतासत्ता के दुरुपयोग और पीड़ितों के प्रति संवेदनशीलता की कमी पर गंभीर सवाल खड़े करता है। क्या दशकों पुराने ज़ख्मों पर मरहम लग पाएगा? क्या पद्मलता, सोजन्या, अनन्या और उन अनगिनत अनाम पीड़ितों को अंततः न्याय मिलेगा? इंद्रावती की लड़ाई सिर्फ़ अपनी बहन के लिए नहीं, बल्कि उन सभी के लिए है जो गुमनाम कब्रों में दफ़न हैं। SIT की जाँच और आने वाले फैसले पूरे देश की नज़र में होंगे। सच सामने आना चाहिए, चाहे वो कितना भी कड़वा क्यों न हो।

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