श्रीनगर एयरपोर्ट पर जुलाई 26, 2025 का वह दिन हवाई अड्डे के कर्मचारियों के लिए एक भयावह अनुभव बन गया। एक वरिष्ठ सेना अधिकारी और स्पाइसजेट एयरलाइन्स के स्टाफ के बीच हैण्ड बैगेज को लेकर हुई बहस ने इतना भयानक रूप ले लिया कि खबरों में इसे “हत्या का प्रयास” (Murderous Assault) तक बताया गया।
घटना का विवरण: क्या हुआ था?
- विवाद की जड़: एक वरिष्ठ सेना अधिकारी (जो दिल्ली के लिए उड़ान भरने वाले थे) ने अपने साथ 16 किलोग्राम का केबिन सामान (हैण्ड बैगेज) रखा था। यह वजन एयरलाइन द्वारा अनुमत 7 किलोग्राम की सीमा से दोगुने से भी अधिक था।
- भुगतान से इनकार: जब स्पाइसजेट के ग्राउंड स्टाफ ने अतिरिक्त सामान के लिए शुल्क देने को कहा, तो अधिकारी ने भुगतान करने से साफ इनकार कर दिया।
- हिंसक विस्फोट: इस इनकार के बाद हुई बहस तेजी से हिंसा में बदल गई। खबरों के अनुसार, अधिकारी ने कर्मचारियों पर मुक्कों और लातों से बेरहमी से हमला किया, जिसे “हत्या का प्रयास” करार दिया गया।
- पीड़ित: इस हमले में चार स्पाइसजेट कर्मचारी बुरी तरह घायल हुए।
घायल कर्मचारियों की स्थिति: गंभीर चोटें
हमले में घायल कर्मचारियों को गंभीर चोटें आईं, जिनमें शामिल हैं:
- रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर: एक कर्मचारी की रीढ़ की हड्डी टूट गई।
- जबड़े में फ्रैक्चर: एक अन्य कर्मचारी का जबड़ा टूट गया।
- नाक और मुंह से खून बहना: कई कर्मचारियों के नाक और मुंह से खून बह रहा था।
- बेहोशी: एक कर्मचारी हमले के दौरान बेहोश हो गया।
घायल कर्मचारियों को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां वे अभी भी गंभीर चोटों के इलाज के दौरान हैं।
सुरक्षा हस्तक्षेप और आगे की कार्रवाई
- CISF का हस्तक्षेप: घटना के दौरान मौजूद केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के जवानों ने हस्तक्षेप कर स्थिति को नियंत्रित किया। बताया जाता है कि अधिकारी बोर्डिंग प्रक्रिया पूरी किए बिना ही जबरन एयरोब्रिज में घुस गए थे, जिसके बाद CISF जवानों ने उन्हें वापस गेट तक ले जाया।
- पुलिस में शिकायत (FIR): स्पाइसजेट ने घटना की पुलिस में आधिकारिक शिकायत (FIR) दर्ज कराई है।
- CCTV फुटेज सुरक्षित: घटना का सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित कर लिया गया है और जांच एजेंसियों को सौंप दिया गया है।
- नागर विमानन मंत्रालय को रिपोर्ट: एयरलाइन ने इस मामले की रिपोर्ट नागर विमानन मंत्रालय (Ministry of Civil Aviation) को भी की है।
- नो-फ्लाई सूची में शामिल करने की तैयारी: स्पाइसजेट ने अधिकारी को नो-फ्लाई सूची (No-Fly List) में डालने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसका मतलब है कि उन्हें एक निश्चित अवधि के लिए किसी भी उड़ान में यात्रा करने से रोका जा सकता है।
- सेना की प्रतिक्रिया: भारतीय सेना ने घटना को स्वीकार करते हुए कहा है कि शीर्ष अधिकारी इस मामले से अवगत हैं और जांच में पूरा सहयोग देंगे।
विश्लेषण और चिंताएं
यह घटना कई गंभीर मुद्दों को उजागर करती है:
- एयरपोर्ट स्टाफ की सुरक्षा: यह घटना एयरपोर्ट और एयरलाइन कर्मचारियों के सामने आने वाली हिंसा और दुर्व्यवहार के खतरों को चिंताजनक तरीके से रेखांकित करती है। यात्रियों, विशेषकर उच्च पदस्थ लोगों के साथ विवादों के दौरान उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है।
- नियमों का पालन: अतिरिक्त सामान के नियमों को लेकर विवाद आम हैं, लेकिन इतनी हिंसक प्रतिक्रिया पूरी तरह अस्वीकार्य है। यह घटना नियमों के सख्ती से पालन और उल्लंघन पर उचित कार्रवाई की आवश्यकता को दर्शाती है।
- जवाबदेही: सेना द्वारा जांच में सहयोग का वादा एक सकारात्मक कदम है। यह महत्वपूर्ण है कि पद या हैसियत की परवाह किए बिना, कानून अपना काम करे और जिम्मेदार व्यक्ति को उचित सजा मिले।
निष्कर्ष
श्रीनगर एयरपोर्ट पर हुई यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना केवल एक विवाद नहीं, बल्कि कामकाजी लोगों के प्रति हिंसा और नियमों की अवहेलना का एक गंभीर उदाहरण है। स्पाइसजेट द्वारा उठाए गए कदम (FIR, नो-फ्लाई लिस्ट, मंत्रालय को शिकायत) और सेना द्वारा जांच में सहयोग का आश्वासन इस बात का संकेत है कि मामला गंभीरता से लिया जा रहा है। पीड़ित कर्मचारियों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हुए, यह उम्मीद की जाती है कि इस घटना से सबक लेकर भविष्य में ऐसी हिंसक घटनाओं को रोकने और एयरपोर्ट कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस उपाय किए जाएंगे।
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