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अमेरिका ने पहलगाम हमले के दोषी TRF को आतंकी संगठन घोषित किया, भारत के साथ एकजुटता दिखाई

वाशिंगटन/नई दिल्ली: अमेरिका ने पाकिस्तान-समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) घोषित कर दिया है। यह फैसला 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद आया है, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटकों की मौत हो गई थी। अमेरिकी सीनेटर मार्को रुबियो ने कहा कि यह कदम भारत के साथ अमेरिका की साझेदारी और आतंकवाद के खिलाफ प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

क्या है TRF और क्यों अमेरिका ने की कार्रवाई?

  • TRF (The Resistance Front) लश्कर-ए-तैयबा का एक छद्म संगठन है, जिसे पाकिस्तानी आईएसआई द्वारा कश्मीर में हिंसा फैलाने के लिए बनाया गया।
  • पहलगाम हमले की जिम्मेदारी TRF ने ली थी, जिसमें आतंकियों ने निहत्थे पर्यटकों को निशाना बनाया
  • TRF प्रमुख शेख सज्जाद गुल को भारतीय एनआईए ने इस हमले का मास्टरमाइंड बताया है।
  • अमेरिका ने TRF को विशेष वैश्विक आतंकवादी (SDGT) भी घोषित किया, जिससे इसके फंडिंग नेटवर्क पर प्रतिबंध लगेंगे।

रुबियो ने क्या कहा?

अमेरिकी सीनेटर मार्को रुबियो ने कहा:

  • “पहलगाम हमला 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के बाद भारत में सबसे बड़ा नरसंहार था।”
  • “यह फैसला अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और भारत के साथ सहयोग को दर्शाता है।”
  • “हम न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

भारत ने कैसे दिया जवाब?

  • ऑपरेशन सिंदूर: भारतीय सेना ने POJK (पाक अधिकृत कश्मीर) और पाकिस्तान के मुरीदके में 9 आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को घेरा: भारत के 51 सांसदों ने 33 देशों का दौरा कर पाकिस्तान के आतंकी पनाहगाह होने का मामला उठाया।
  • यूएई, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस जैसे देशों में भारत ने पाकिस्तान की पोल खोली

आगे क्या होगा?

  • अमेरिका का यह कदम पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाएगा, जो लश्कर-ए-तैयबा और TRF को शरण देता है।
  • भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग और मजबूत होगा।
  • पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में डालने की मांग फिर तेज हो सकती है।

निष्कर्ष

अमेरिका का यह फैसला भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत है। यह दिखाता है कि वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान के आतंकी संगठनों को अब कोई सहयोग नहीं मिलेगा। भारत की “जीरो टॉलरेंस” नीति अब अंतरराष्ट्रीय समर्थन पा रही है।

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