30 जुलाई, 2025 की सुबह 11:30 बजे, लद्दाख के दुर्बुक क्षेत्र में एक कारवाही ने राष्ट्र को स्तब्ध कर दिया। भारतीय सेना का एक काफिला जब गलवान की दुर्गम पहाड़ियों से गुजर रहा था, तभी अचानक एक विशाल चट्टान टूटकर सैन्य वाहन (स्कॉर्पियो) पर गिर गई। यह क्षेत्र चीन के साथ लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के निकट है, जहाँ प्राकृतिक खतरे आम हैं।
शहीदों की गौरवशाली याद
इस घटना में दो वीर सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी:
- लेफ्टिनेंट कर्नल भानुप्रताप सिंह – सेना के जांबाज अधिकारी, जिन्होंने देश की सुरक्षा में अपना जीवन समर्पित किया।
- लांसनायक दफादार दलजीत सिंह – अपनी टुकड़ी के लिए प्रेरणास्रोत, जिनका साहस सदैव याद किया जाएगा।
तीन अन्य अधिकारी गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जिन्हें तुरंत चिकित्सा सहायता प्रदान की गई।
सेना की शोकाकुल प्रतिक्रिया
भारतीय सेना की प्रतिष्ठित इकाई फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने आधिकारिक बयान जारी कर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की:
*”फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स समस्त रैंकों के साथ लेफ्टिनेंट कर्नल भानुप्रताप सिंह और लांसनायक दफादार दलजीत सिंह को शत्-शत् नमन करती है, जिन्होंने 30 जुलाई, 2025 को लद्दाख में ड्यूटी के दौरान अंतिम साँसें दीं। हम इस दुःख की घड़ी में उनके परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं।”*
राहत और बचाव अभियान
घटना के तुरंत बाद सेना ने रिकवरी ऑपरेशन शुरू किया। स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा बलों ने घायलों को निकालने और मलबे को हटाने में तत्परता दिखाई। हालांकि, चट्टानों की अस्थिरता के कारण अभियान चुनौतीपूर्ण रहा।
प्राकृतिक या मानवीय?
प्रारंभिक जाँच के अनुसार यह एक प्राकृतिक दुर्घटना थी। लद्दाख की ऊँची पहाड़ियों में भूस्खलन और रॉकफॉल सामान्य हैं, विशेषकर बारिश के मौसम में। हालाँकि, सेना ने काफिले के मार्ग या अन्य विवरण साझा नहीं किए हैं।
राष्ट्र का श्रद्धासुमन
शहीदों के पार्थिव शरीर को उनके गृहनगर पहुँचाया गया, जहाँ सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार हुआ। देशभर के नेताओं और नागरिकों ने सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त करते हुए परिवारों के प्रति संवेदना जताई।
स्मरणीय तथ्य
पहलू | विवरण |
---|---|
स्थान | दुर्बुक क्षेत्र, गलवान घाटी (LAC के निकट) |
वाहन | सेना की स्कॉर्पियो गाड़ी |
घायल | 3 अधिकारी (नाम अज्ञात) |
सूत्र | सेना प्रमुख समाचार पत्रों द्वारा पुष्टि |
निष्कर्ष: वीरता की अमर गाथा
यह घटना हमें याद दिलाती है कि हमारे सैनिक न केवल युद्धक्षेत्र में, बल्कि प्रकृति की प्रचंड चुनौतियों का सामना करते हुए भी देश की रक्षा करते हैं। लेफ्टिनेंट कर्नल सिंह और लांसनायक दलजीत सिंह का बलिदान राष्ट्र के लिए अमर शौर्य का प्रतीक बन गया है। आइए, हम सभी उनकी स्मृति को नमन करें और उनके परिवारों के दुःख में शामिल हों।
“सरहद पर ख़तरा हर पल, फिर भी डटे रहते वीर।
पहाड़ों ने ली जिनकी जान, वो अमर हैं, वो अमर हैं।”
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