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एक फोटो ने तोड़ा पहलगाम पहेली का कोड! जानिए पूरा सच।

पहलगाम, 22 अप्रैल 2025। स्वर्ग जैसी खूबसूरत बैसरान घाटी में अचानक गोलियों की आवाज से सन्नाटा छा गया। पांच निर्दयी आतंकवादियों ने निहत्थे पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं। कुछ ही पलों में 26 निर्दोष जिंदगियां चली गईं। यह पहलगाम आतंकी हमला था – जम्मू-कश्मीर की शांति और पर्यटन उद्योग पर एक क्रूर प्रहार।

हमले के बाद एक बड़ा सवाल था: इन हैवानों की शिनाख्त कैसे होगी? यहीं से शुरू होती है एक अविश्वसनीय खोज की कहानी – एक साल पुराने मोबाइल फोटो की कहानी, जिसने देश के दुश्मनों का पर्दाफाश कर दिया!

2024 का वो एनकाउंटर: जहां मिली थी निर्णायक कुंजी

साल 2024। दक्षिण कश्मीर में एक एनकाउंटर हुआ। सुरक्षा बलों ने एक आतंकवादी को ढेर किया और उसके पास से एक मोबाइल फोन बरामद किया। इस फोन में कुछ फोटोज थीं। कुछ युवा, हाथों में हथियार लिए, गर्व से पोज़ दे रहे थे। उस समय तक इन फोटोज का पूरा महत्व शायद समझ में नहीं आया। लेकिन यही फोटोज भविष्य के एक बड़े सच को उजागर करने वाली थीं।

पहलगाम के बाद: फोटोज बोल उठीं!

22 अप्रैल 2025 की भीषण घटना के बाद, जब जांचकर्ता घटनास्थल पर मौजूद चश्मदीदों से पूछताछ कर रहे थे, तब चश्मदीदों ने हमलावरों के चेहरों का वर्णन किया। कुछ ही दिन बाद, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने चार हमलावरों (2 पाकिस्तानी, 2 स्थानीय) की पहचान की घोषणा की।

लेकिन असली पटकथा तब लिखी गई जब इन चश्मदीद गवाहों के बयानों और विवरणों को उस पुराने मोबाइल फोन से बरामद 2024 के फोटोज के साथ मिलाया गया।

फोरेंसिक जादू: पिक्सल्स ने पकड़वाए खलनायक!

फोरेंसिक विश्लेषण ने पुष्टि कर दी: फोटो में दिख रहे वे ही युवक थे जिन्होंने पहलगाम में निर्ममता की सारी हदें पार कर दी थीं! ये फोटोज ही वो क्रिटिकल लिंक साबित हुए जिसने इन आतंकियों के चेहरे सामने ला दिए।

पहचान हुई तीन पाकिस्तानी दरिंदों की:

  1. सुलेमान शाह (उर्फ फैजल जट्ट): लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का खूंखार कमांडर।
  2. अबू हम्ज़ा: LeT का दूसरा प्रमुख आतंकी।
  3. यासिर: LeT का तीसरा सदस्य।

इनकी पाकिस्तानी नागरिकता के सबूत भी मिले – जैसे पाकिस्तान में बनी चॉकलेट्स और अन्य सामान। ये तीनों पाकिस्तान से करीब तीन साल पहले घुसपैठ कर भारत आए थे।

ऑपरेशन महादेव: अंत होगा बुराई का!

इस सटीक पहचान के बाद सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन महादेव चलाया। 28 जुलाई, 2025 को जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के जंगलों में एक निर्णायक मुठभेड़ हुई। सुरक्षाबलों की बहादुरी और सूझबूझ के आगे आतंकियों का बचना नामुमकिन था। सुलेमान शाह, अबू हम्ज़ा और यासिर सहित तीनों आतंकी ढेर कर दिए गए! उनके साथ ही पाकिस्तानी सेना की स्पेशल फोर्स का पूर्व सैनिक और मास्टरमाइंड हाशिम मूसा भी मारा गया।

स्थानीय सहयोगी भी नहीं बच पाए

इस नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने के लिए, 22 जून, 2025 को एनआईए ने दो स्थानीय कश्मीरियों – परवेज अहमद डार और बशीर अहमद जोठर – को गिरफ्तार किया था। इन पर आरोप था कि इन्होंने इन खूंखार आतंकियों को शरण और सहायता दी।

सबक: एक फोटो की ताकत और हमारी सुरक्षा व्यवस्था की दृढ़ता

पहलगाम हमले की जांच और अपराधियों के अंत की यह कहानी कई महत्वपूर्ण बातें सिखाती है:

  1. डिजिटल सबूतों का महत्व: 2024 में बरामद एक साधारण सा मोबाइल फोटो, जो साल भर बाद एक बड़ी पहेली को सुलझाने का कारण बना। यह आधुनिक फोरेंसिक और खुफिया तकनीक की ताकत दिखाता है।
  2. सूचनाओं को जोड़ने की क्षमता: अलग-अलग घटनाओं (2024 का एनकाउंटर और 2025 का हमला) से मिली जानकारियों को जोड़कर देखना कितना जरूरी है।
  3. हमारे सुरक्षा बलों की दक्षता और दृढ़ संकल्प: चश्मदीदों के बयान, पुराने फोटोज, सैटेलाइट फोन ट्रैकिंग (हुआवेई फोन), लोरा वायरलेस मॉड्यूल का फोरेंसिक, बुलेट मैचिंग (M-9 और AK-47 राइफल्स का लिंक), और अंततः ऑपरेशन महादेव की सफलता – ये सब भारत के सुरक्षा तंत्र की बहुआयामी क्षमता और आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को दर्शाता है। गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में स्वदेशी तकनीक से अल्ट्रा सिग्नल्स कैप्चर करने की बात कही, जो इसी क्षमता का हिस्सा है।
  4. पाकिस्तानी हाथ और स्थानीय सहयोग: हमलावरों का पाकिस्तानी होना, LeT से जुड़ाव, पाकिस्तानी सामान मिलना और स्थानीय लोगों द्वारा शरण देना – यह साबित करता है कि आतंकवाद एक पार-सीमाई समस्या है जिसमें विदेशी समर्थन और कुछ स्थानीय तत्व शामिल होते हैं।

न्याय का अंतिम शब्द

पहलगाम के शहीदों की आत्मा को शांति मिली होगी जब उनके हत्यारों को उनके अंजाम तक पहुंचाया गया। 2024 के उस मोबाइल फोटो ने एक गुमनाम हीरो की तरह काम किया, जिसने न्याय के पथ को प्रकाशित किया। यह घटना एक स्पष्ट संदेश देती है: भारत की सुरक्षा व्यवस्था सजग है, सक्षम है और आतंकवादियों को चुन-चुन कर उनका हिसाब करने की क्षमता रखती है। उनकी कुटिल चालें, चाहे वो कितनी भी पुरानी क्यों न हों, अंततः उजागर होकर रहती हैं और उनका विनाश निश्चित है।

जय हिन्द! शहीदों को कोटि-कोटि नमन!

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