अलास्का, 10 अगस्त 2025: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच 15 अगस्त को अलास्का में एक महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है। इस मुलाकात का उद्देश्य यूक्रेन में चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए शांति वार्ता को आगे बढ़ाना है। यह बैठक वैश्विक कूटनीति और भू-राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है।
बैठक का उद्देश्य और पृष्ठभूमि
रूस और यूक्रेन के बीच 2022 से जारी युद्ध को खत्म करने के लिए ट्रम्प ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही वादा किया था कि वह शांति स्थापित करेंगे। इस बैठक में ट्रम्प और पुतिन युद्धविराम (सीजफायर) और संभावित शांति समझौते पर चर्चा करेंगे। ट्रम्प ने पहले सुझाव दिया था कि यह समझौता क्षेत्रों के आदान-प्रदान (territorial swap) पर आधारित हो सकता है, लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने ऐसी किसी भी शर्त को सिरे से खारिज कर दिया है।
क्रेमलिन के प्रवक्ता यूरी उशाकोव ने कहा, “यह बैठक यूक्रेनी संकट के दीर्घकालिक और शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में एक कदम है।” हालांकि, पुतिन ने इस बैठक में यूक्रेन को शामिल न करने की शर्त रखी है, जिसे कई विश्लेषकों ने रूस की रणनीति के रूप में देखा है ताकि यूक्रेन पर एकतरफा समझौता थोपा जा सके।
अलास्का क्यों?
अलास्का को इस बैठक के लिए रणनीतिक और प्रतीकात्मक कारणों से चुना गया है। यह स्थान रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र से केवल 88 किलोमीटर दूर है, जो बेरिंग जलसंधि द्वारा अलग किया गया है। इसके अलावा, अमेरिका अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) का सदस्य नहीं है, जिसने पुतिन के खिलाफ यूक्रेन में कथित युद्ध अपराधों के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इसलिए, अलास्का में पुतिन की यात्रा कानूनी जटिलताओं से मुक्त है।
ट्रम्प का दबाव और रूस पर प्रतिबंध
ट्रम्प ने रूस पर युद्धविराम के लिए कई समय सीमाएँ दी थीं, जिनमें से एक 8 अगस्त को समाप्त हुई। इस समय सीमा के बिना किसी समझौते के पूरा होने के बाद, ट्रम्प ने रूस पर नए प्रतिबंधों और रूसी तेल खरीदने वाले देशों, जैसे भारत, पर 50% टैरिफ की धमकी दी थी। इस दबाव के बाद पुतिन ने इस बैठक के लिए सहमति जताई।
यूक्रेन की प्रतिक्रिया
यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने इस बैठक को “खतरनाक” बताया है और चेतावनी दी है कि बिना यूक्रेन की भागीदारी के कोई भी समझौता “मृत समाधान” होगा। उन्होंने कहा, “यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता हमारे संविधान का आधार है, और इसे किसी भी कीमत पर बदला नहीं जाएगा।” यूक्रेन ने मांग की है कि किसी भी शांति समझौते में उसकी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाए।
वैश्विक प्रभाव और भारत का संदर्भ
यह बैठक न केवल यूक्रेन और रूस के लिए, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और कूटनीति के लिए भी महत्वपूर्ण है। भारत, जो रूस से तेल आयात करता है, इस बैठक के परिणामों पर नज़र रखे हुए है। हाल ही में अमेरिका द्वारा रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर टैरिफ की धमकी के बाद, भारत-रूस संबंधों पर भी चर्चा होने की संभावना है। पुतिन ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत में भारत के साथ मजबूत संबंधों पर जोर दिया था।
भविष्य की संभावनाएँ
विश्लेषकों का मानना है कि यह बैठक वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है, लेकिन इसके परिणाम अनिश्चित हैं। ट्रम्प और पुतिन के बीच मतभेद, खासकर यूक्रेन के क्षेत्रों और शांति की शर्तों को लेकर, इस बैठक को जटिल बनाते हैं। यदि यह मुलाकात सफल होती है, तो यह युद्ध को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है। लेकिन यदि यह विफल होती है, तो यूक्रेन में संघर्ष और गहरा सकता है, जिसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था और ऊर्जा बाजारों पर पड़ेगा।
निष्कर्ष: ट्रम्प-पुतिन की यह ऐतिहासिक मुलाकात वैश्विक ध्यान का केंद्र बनी हुई है। अलास्का में होने वाली यह बैठक न केवल यूक्रेन युद्ध के भविष्य को निर्धारित करेगी, बल्कि वैश्विक कूटनीति और शक्ति संतुलन पर भी गहरा प्रभाव डालेगी। दुनिया की निगाहें अब 15 अगस्त पर टिकी हैं, जब ये दोनों नेता एक-दूसरे के सामने होंगे।
अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी तो कृपया इसे शेयर करें
More Stories
पाकिस्तानी सेना प्रमुख का बेहद आपत्तिजनक बयान: भारत की जामनगर रिफाइनरी को बनाया निशाना!
धर्मस्थला 1986 में बहन के ‘बलात्कार-हत्या’ की फिर से जाँच चाहतीं इंद्रावती, SIT के पास पहुँचीं
मोंटाना हवाई अड्डे पर भीषण क्रैश लैंडिंग, सभी यात्री सुरक्षित!