दिल्ली, 5 अगस्त 2025 – जम्मू-कश्मीर, गोवा और मेघालय जैसे राज्यों के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का आज निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था, लेकिन डॉक्टर उन्हें बचा नहीं पाए।
मृत्यु का कारण
सत्यपाल मलिक की मृत्यु मूत्र पथ के संक्रमण से हुई, जिसके बाद सेप्टिक शॉक और बहु-अंग विफलता की स्थिति उत्पन्न हो गई। उन्हें 11 मई 2025 को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उनका लंबा इलाज चला, लेकिन उनकी हालत लगातार गंभीर बनी रही।
उन्हें मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा और नींद में सांस रुकने (स्लीप एप्निया) जैसी बीमारियाँ भी थीं, जिससे उनकी स्वास्थ्य स्थिति और जटिल हो गई।
राजनीतिक सफर
सत्यपाल मलिक ने छात्र राजनीति से अपना करियर शुरू किया और समाजवादी विचारधारा से जुड़े रहे। वह चौधरी चरण सिंह के करीबी थे और 1974 में बागपत से विधायक बने। बाद में वह राज्यसभा सांसद भी रहे।
2017 से 2022 तक वह बिहार, ओडिशा, गोवा, मेघालय और जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे। जम्मू-कश्मीर में उनके कार्यकाल के दौरान ही अनुच्छेद 370 हटाया गया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया।
विवाद और मुखरता
हाल के वर्षों में सत्यपाल मलिक भाजपा सरकार के खिलाफ मुखर हो गए थे। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और किसान आंदोलन का समर्थन किया। उन्होंने सरकार से तीन कृषि कानून वापस लेने की माँग की थी और पीएम मोदी पर सीधे हमला बोला था।
राजनीतिक नेताओं की श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा –
“श्री सत्यपाल मलिक जी के निधन से दुखी हूँ। वह एक ईमानदार और स्पष्टवादी नेता थे। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति मेरी संवेदनाएँ।”
कई अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
अंतिम संस्कार
उनके अंतिम संस्कार की तैयारियाँ चल रही हैं। परिवार ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार उनके गृहनगर में किया जाएगा।
सत्यपाल मलिक का जीवन संघर्षों और सिद्धांतों की मिसाल रहा। वह एक ऐसे नेता थे जिन्होंने हमेशा अपनी बात बिना डर कहे। उनके जाने से देश ने एक प्रखर राजनेता को खो दिया है।
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