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Tariff Threats Here’s India’s Diplomatic Counter

भारतीय सेना ने 1971 के युद्ध की याद दिलाकर अमेरिका को दिखाया आईना, टैरिफ तनाव के बीच कूटनीतिक जवाब

नई दिल्ली, 5 अगस्त 2025 – भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर बढ़ते तनाव के बीच भारतीय सेना ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 54 साल पुराने भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान अमेरिका के पाकिस्तान समर्थन को उजागर किया। सेना की ईस्टर्न कमांड ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर 5 अगस्त 1971 की एक पुरानी समाचार कटिंग साझा की, जिसमें लिखा था, “1954 से अब तक पाकिस्तान को 2 अरब डॉलर के अमेरिकी हथियार भेजे गए।” यह पोस्ट अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत पर रूसी तेल आयात के लिए उच्च टैरिफ लगाने की धमकी के ठीक एक दिन बाद आई, जिसे भारत ने “अनुचित और अव्यवहारिक” करार दिया।

टैरिफ तनाव: भारत-अमेरिका संबंधों में उथल-पुथल

हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत के रूस से तेल आयात को लेकर तीखी आलोचना की और 1 अगस्त से भारतीय सामानों पर 25% टैरिफ लागू करने की घोषणा की। ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “भारत रूस से भारी मात्रा में तेल खरीद रहा है और उसे खुले बाजार में बड़े मुनाफे के साथ बेच रहा है। वे यूक्रेन में रूसी युद्ध मशीन द्वारा मारे जा रहे लोगों की परवाह नहीं करते। इस वजह से, मैं भारत द्वारा अमेरिका को दिए जाने वाले टैरिफ में भारी वृद्धि करूंगा।”

इसके जवाब में, भारत के विदेश मंत्रालय ने सोमवार देर रात एक कड़ा बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि भारत का रूसी तेल आयात राष्ट्रीय हितों और ऊर्जा सुरक्षा के लिए आवश्यक है। मंत्रालय ने यह भी उजागर किया कि यूक्रेन संकट के बाद पारंपरिक तेल निर्यातक देशों ने अपनी आपूर्ति यूरोप की ओर मोड़ दी, जिसके कारण भारत को रूस की ओर रुख करना पड़ा। मंत्रालय ने अमेरिका और यूरोपीय संघ पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया, क्योंकि 2024 में यूरोपीय संघ का रूस के साथ व्यापार 67.5 अरब यूरो तक पहुंच गया।

1971 का युद्ध: अमेरिका-पाकिस्तान का “नापाक याराना”

भारतीय सेना की ईस्टर्न कमांड ने अपने पोस्ट में 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की ओर ध्यान खींचा, जो बांग्लादेश की स्वतंत्रता का कारण बना। पोस्ट में साझा की गई समाचार कटिंग में तत्कालीन रक्षा उत्पादन मंत्री वी.सी. शुक्ला के राज्यसभा में दिए बयान का हवाला दिया गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि सोवियत संघ और फ्रांस ने पाकिस्तान को हथियार देने से इनकार कर दिया था, लेकिन अमेरिका और चीन ने पाकिस्तान को “बेहद सस्ती कीमतों” पर हथियार उपलब्ध कराए। इस समाचार कटिंग को साझा करते हुए सेना ने हैशटैग #KnowFacts और #VijayVarsh का उपयोग किया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि यह पोस्ट न केवल ऐतिहासिक तथ्यों को उजागर करने के लिए थी, बल्कि वर्तमान कूटनीतिक तनाव में एक मजबूत संदेश भी दे रही थी।

1971 का युद्ध भारत के लिए एक ऐतिहासिक जीत थी, जिसमें भारतीय सेना ने 13 दिनों के भीतर पाकिस्तानी सेना को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर कर दिया। इस युद्ध में अमेरिका ने पाकिस्तान का समर्थन किया था, जिसमें 7वें बेड़े (Seventh Fleet) को बंगाल की खाड़ी में भेजना शामिल था। हालांकि, भारत ने सोवियत संघ के समर्थन और अपनी सैन्य रणनीति के दम पर न केवल पाकिस्तान को हराया, बल्कि अमेरिकी दबाव को भी विफल कर दिया। इस जीत ने बांग्लादेश को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापित किया और भारत को दक्षिण एशिया में एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभारा।

सेना का कूटनीतिक संदेश

सेना का यह कदम न केवल ऐतिहासिक तथ्यों को सामने लाने का प्रयास है, बल्कि यह वर्तमान टैरिफ तनाव में अमेरिका को एक कड़ा कूटनीतिक संदेश भी देता है। विश्लेषकों का मानना है कि यह पोस्ट भारत की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वह अपनी संप्रभुता और स्वतंत्र विदेश नीति को दृढ़ता से बनाए रखने का संदेश दे रहा है। एक रक्षा विशेषज्ञ ने कहा, “भारतीय सेना का यह कदम यह दर्शाता है कि भारत न केवल अपनी सैन्य ताकत के दम पर, बल्कि ऐतिहासिक तथ्यों और कूटनीतिक बयानों के माध्यम से भी वैश्विक मंच पर अपनी बात रख सकता है।”

भारत की आर्थिक और सैन्य स्थिति

वर्तमान में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है, और इसकी सैन्य शक्ति भी उल्लेखनीय है। ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2025 के अनुसार, भारतीय सेना दुनिया की चौथी सबसे शक्तिशाली सेना है, जिसमें 14.55 लाख सक्रिय सैनिक, 2,229 विमान, और 370 से अधिक युद्धपोत शामिल हैं। भारत ने हाल ही में स्वदेशी हथियारों और ड्रोन प्रौद्योगिकी में भी महत्वपूर्ण प्रगति की है। इस सैन्य और आर्थिक ताकत के दम पर भारत टैरिफ जैसे व्यापारिक विवादों में अमेरिका के साथ कड़ा रुख अपना रहा है।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

भारत में विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस ने, ट्रम्प के टैरिफ निर्णय और भारत-अमेरिका संबंधों में ठंडक को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की। कांग्रेस ने X पर पोस्ट किया, “भारत की विदेश नीति पूरी तरह विफल रही है। ‘हाउडी मोदी’ और ‘नमस्ते ट्रम्प’ जैसे आयोजनों के बावजूद, भारत को टैरिफ की मार झेलनी पड़ रही है, जबकि पाकिस्तान को 19% टैरिफ की राहत दी गई है।”

भविष्य की राह

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ताएं अभी भी जारी हैं, और भारत ने संकेत दिया है कि वह पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौते के लिए तैयार है। हालांकि, ट्रम्प के हालिया बयानों और भारत के रूसी तेल आयात पर उनकी आलोचना ने दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ा दिया है। भारतीय सेना का 1971 का उल्लेख न केवल एक ऐतिहासिक याद दिलाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत अपनी राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए किसी भी दबाव के सामने नहीं झुकेगा।

जैसा कि एक वरिष्ठ कूटनीतिक विश्लेषक ने कहा, “1971 में भारत ने दिखाया था कि वह वैश्विक महाशक्तियों के दबाव को झेल सकता है। आज, आर्थिक और सैन्य ताकत के साथ, भारत एक बार फिर अपनी स्वतंत्रता और संप्रभुता को साबित करने के लिए तैयार है।”

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