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धर्मस्थल का काला सच: अवैध दफ़न, मिटाए गए रिकॉर्ड और एक गाँव का डर!

बेल्थांगडी, कर्नाटक: धर्मस्थल गाँव का नाम आज हर जुबान पर है, लेकिन श्रद्धा से नहीं, सनसनीखेज और डरावने खुलासों से। हत्या, बलात्कार और सैकड़ों अवैध दफ़न के आरोपों ने इस गाँव को सुर्खियों में ला खड़ा किया है। विशेष जांच दल (SIT) की जांच जारी है, और अब नए गवाहों के बयान और पुलिस के रिकॉर्ड मिटाने के चौंकाने वाले खुलासे मामले को और गहरा रहे हैं।

🔍 जयंत टी का दर्दनाक बयान: एक किशोरी का अंतिम संस्कार नहीं, गुप्त दफ़न!

इचलम्पाडी गाँव के निवासी जयंत टी ने 2 अगस्त को SIT के सामने ऐसी गवाही दी, जिससे रोंगटे खड़े हो जाते हैं:

विवरणजानकारी
नामजयंत टी
निवासइचलम्पाडी गांव, दक्षिण कन्नड़ जिला
गवाही की तिथि2 अगस्त, 2025 (शनिवार)
घटना का विवरण15 साल पहले धर्मस्थल गांव में 13-15 साल की किशोरी की अवैध दफनाई देखी। शव आंशिक रूप से सड़ा हुआ था। न पोस्टमॉर्टम, न FIR!
अतिरिक्त दावेकई अन्य अवैध दफनाओं की प्रत्यक्ष जानकारी। दफनाई की जगह SIT को दिखाने की पेशकश। कई स्थानीय लोग जानते हैं लेकिन डर के कारण चुप रहे।
व्यक्तिगत त्रासदीभतीजी पद्मलता लापता, जो उस किशोरी की मौत की गवाह थी। SIT से इसकी जांच का अनुरोध।
बोलने का कारणSIT के गठन और सार्वजनिक जांच के माहौल के कारण डर कम हुआ।
अगले कदमसोमवार को विस्तृत शिकायत के साथ पेश होने के लिए कहा गया।

जयंत का आरोप साफ है: “उन्होंने शव को इतनी बेरुखी से दफनाया, जैसे वह कोई जानवर हो… वह मंज़र मेरे दिमाग़ से सालों तक नहीं मिटा।” उन्होंने यह भी दावा किया कि कई अन्य लोग भी तैयार हैं और जल्द ही गवाही देंगे।

⚖️ वकील की बड़ी मांग: “पंचायत उपाध्यक्ष श्रीनिवास राव को गिरफ्तार करो!”

लापता मेडिकल छात्रा अनन्या भट की मां सुजाता भट के वकील एन मंजूनाथ ने धर्मस्थल ग्राम पंचायत के उपाध्यक्ष श्रीनिवास राव की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है। क्यों?

  • राव ने पहले दावा किया था कि सभी दफ़न आधिकारिक रिकॉर्ड के साथ हुए थे।
  • लेकिन SIT को मुखबिर ने जिन 13 कथित कब्रिस्तानों (जिनमें से 12 वन क्षेत्र में!) की ओर इशारा किया, वे “नदी के पास दुर्भावनापूर्ण और बिखरे हुए स्थान” थे।
  • वकील मंजूनाथ का सीधा सवाल: “कोई भी समझदार पंचायत प्रशासन ऐसी खतरनाक, दुर्गम जगहों पर शवों को क्यों दफनाएगा? अगर शव निकालने हों तो परिवारों को सुरक्षित कैसे ले जाएंगे?”
  • उनका आरोप: “राव ने जनता को गुमराह करने और जाँच में बाधा डालने की कोशिश की है। उनके पास असली अपराधियों और पंचायत के बीच सांठगांठ की जानकारी हो सकती है।”

🌳 वन विभाग का बयान: “वन क्षेत्र में दफनाना असंभव!”

मामले ने और पेचीदा रूप ले लिया जब वन विभाग के एक अधिकारी ने कहा:

  • बिना अनुमति के वन क्षेत्र में प्रवेश करना भी मुश्किल है, दफनाना तो बिल्कुल असंभव!
  • नियमों में सिर्फ आदिवासियों के लिए अपने बस्तियों के पास ही अपवाद है।
  • अधिकारी ने माना कि एक प्रमुख तीर्थस्थल होने के कारण निगरानी में ढील हो सकती थी।

💥 सबसे बड़ा झटका: पुलिस ने मिटा दिए मौत के रिकॉर्ड! RTI ने खोला राज!

मामले का सबसे डरावना पहलू सामने आया है आरटीआई के जरिए:

  • बेल्थांगडी पुलिस ने स्वीकार किया है कि उसने 2000 से 2015 के बीच के अप्राकृतिक मृत्यु रजिस्टर (UDR) से सभी प्रविष्टियाँ मिटा दीं!
  • यह वही अवधि है जिसमें मुखबिर ने सैकड़ों अवैध दफ़न का दावा किया है (1995-2014)।
  • पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, दीवार पर लगे पोस्टर, नोटिस, तस्वीरें – सब कुछ “नियमित प्रशासनिक आदेशों” के तहत नष्ट कर दिया गया!
  • जयंत (जो खुद एक आरटीआई कार्यकर्ता हैं) का सवाल: “डिजिटल युग में बिना बैकअप के ऐसा डेटा कैसे नष्ट किया जा सकता है? अगर कंकाल मिले भी, तो पहचान कैसे होगी जब रिकॉर्ड ही नहीं हैं?”

❓ बड़े सवाल, गहराता रहस्य:

  • क्या धर्मस्थल में वाकई इतने बड़े पैमाने पर हत्याएं और अवैध दफन हुए?
  • क्यों डर के साये में जी रहे थे स्थानीय लोग? किसका डर?
  • पुलिस ने मृत्यु रिकॉर्ड क्यों मिटाए? क्या यह व्यवस्थित ढंग से सबूतों को नष्ट करने की कोशिश थी?
  • पंचायत उपाध्यक्ष श्रीनिवास राव की भूमिका क्या थी? क्या उनकी गिरफ्तारी से खुलेंगे राज?
  • जयंत की लापता भतीजी पद्मलता का क्या हुआ? क्या उसका भी इसी साजिश से कोई संबंध है?

⏳ अगला कदम: खुदाई और कड़ी जांच

SIT ने संदिग्ध स्थलों पर खुदाई शुरू कर दी है। जयंत टी ने औपचारिक शिकायत दर्ज करा दी है, जिसके आधार पर जल्द ही FIR दर्ज होने और शव बाहर निकाले जाने की संभावना है। मामला जितना आगे बढ़ रहा है, उतने ही गंभीर और परेशान करने वाले सवाल सामने आ रहे हैं।

धर्मस्थल का मामला सिर्फ कुछ अपराधों की बात नहीं है। यह व्यवस्था की विफलता, सत्ता के दुरुपयोग और न्याय प्रणाली पर उठते सवालों की कहानी है। क्या SIT इस घने अंधेरे में से सच्चाई का रास्ता निकाल पाएगी? क्या डर के साये से मुक्त होकर और गवाह सामने आएंगे? क्या मिटाए गए रिकॉर्डों के बावजूद पीड़ितों को न्याय मिल पाएगा?

ये वो सवाल हैं जिनके जवाब पूरे देश को बेसब्री से इंतजार हैं। धर्मस्थल की जमीन के नीचे दफन सच्चाई पर से पर्दा उठने का वक्त आ गया लगता है। भले ही वह सच कितना भी डरावना क्यों न हो।

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