पटियाला, 1 अगस्त 2025: जिले के रावस ब्राह्मणन गाँव में अफ्रीकी स्वाइन फीवर (ASF) की पुष्टि के बाद प्रशासन ने सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। यह खतरनाक वायरल बीमारी सूअरों में तेजी से फैलती है और इसका अभी तक कोई टीका नहीं है।
🔍 क्या हुआ?
- पिछले हफ्ते गाँव के एक सूअर फार्म में कई सूअरों की मौत हुई।
- जालंधर की रीजनल डिजीज डायग्नोस्टिक लैब (RDDL) और भोपाल की हाई-सिक्योरिटी लैब में भेजे गए नमूनों में ASF वायरस की पुष्टि हुई।
- यह बीमारी इंसानों के लिए खतरनाक नहीं है, लेकिन सूअर पालन करने वाले किसानों की आजीविका के लिए गंभीर खतरा है।
⚠️ प्रतिबंध और प्रभावित क्षेत्र
जिला प्रशासन ने तुरंत कदम उठाए हैं:
- संक्रमित क्षेत्र घोषित: रावस ब्राह्मणन गाँव और उसके 1 किमी के दायरे को “संक्रमित क्षेत्र” बना दिया गया है।
- निगरानी क्षेत्र: गाँव के 1 किमी से 10 किमी के दायरे को “निगरानी क्षेत्र” घोषित किया गया है।
- आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध:
- जिंदा या मरे हुए सूअरों (जंगली सूअरों सहित) का आना-जाना बंद।
- सूअर का मांस (पोर्क), चारा और फार्म से जुड़े उपकरणों की आवाजाही रोकी गई है।
- कानूनी कार्रवाई: एडीएम ईशा सिंगल ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 की धारा 163 के तहत 31 जुलाई 2025 से 30 सितंबर 2025 तक प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए हैं। इनका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
📅 पटियाला और ASF: पुराना सिलसिला
यह पहली बार नहीं है जब पटियाला ASF से प्रभावित हुआ है। अगस्त 2022 में भी जिले के चार इलाकों को संक्रमित क्षेत्र घोषित किया गया था। उस समय पटियाला और फतेहगढ़ साहिब में 550 से अधिक सूअरों को मारा गया था, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ। किसानों ने सरकारी मुआवजे को पर्याप्त नहीं बताया था।
💰 किसानों पर आर्थिक मार
- प्रतिबंधों से सूअर पालकों की आमदनी रुक गई है।
- सूअरों और पोर्क की बिक्री ठप पड़ी है।
- बीमारी के डर से बाजारों में भारी गिरावट आने की आशंका है।
- 2022 के प्रकोप में किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था, क्योंकि पालन लागत मुआवजे से कहीं अधिक थी।
🌍 ASF: एक वैश्विक चुनौती
विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH) के अनुसार, 2018 से 50 से अधिक देश ASF से प्रभावित हो चुके हैं। यह बीमारी अक्सर अंतरराष्ट्रीय व्यापार या जंगली सूअरों के जरिए फैलती है। पटियाला में सीमा निगरानी और जोनिंग की रणनीति वैश्विक स्तर पर अपनाई जाने वाली सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप है।
🚨 अब क्या करें? (सुझाव)
- किसान सतर्क रहें: अपने फार्मों में सख्त बायोसिक्योरिटी (जैव सुरक्षा) अपनाएं। किसी भी असामान्य लक्षण (बुखार, कमजोरी, खून बहना) दिखने पर तुरंत पशु चिकित्सा विभाग को सूचित करें।
- आम जनता सहयोग करे: प्रतिबंधों का पालन करें। संक्रमित क्षेत्रों से सूअर, पोर्क या संबंधित सामान न खरीदें।
- सरकारी पहल:
- प्रभावित किसानों के लिए पर्याप्त और त्वरित मुआवजा सुनिश्चित करना।
- फार्मों में बायोसिक्योरिटी बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियान चलाना।
- सीमा नियंत्रण और सतत निगरानी मजबूत करना।
🔮 भविष्य की चुनौती
- ASF का टीका अभी उपलब्ध नहीं है, इसलिए रोकथाम ही एकमात्र उपाय है।
- प्रतिबंधों की सफलता जन सहयोग, सतत निगरानी और त्वरित कार्रवाई पर निर्भर करेगी।
- अगर बीमारी अन्य इलाकों में फैली तो आर्थिक नुकसान बहुत बड़ा हो सकता है।
नोट: यह स्थिति 1 अगस्त 2025 तक की है। नवीनतम जानकारी के लिए पशुपालन विभाग जैसे विश्वसनीय स्रोतों से अपडेट लेते रहें। प्रशासन ने नागरिकों से पूर्ण सहयोग की अपील की है ताकि इस खतरनाक बीमारी को फैलने से रोका जा सके।
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