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कर्नाटक के धर्मस्थल में मिले खोपड़ी रहित कंकाल और रहस्यमय दफन की कहानी

धर्मस्थल में सामूहिक दफन का मामला कर्नाटक में एक गंभीर और संवेदनशील जांच का विषय बन गया है। यह मामला एक पूर्व सफाई कर्मचारी की शिकायत से शुरू हुआ, जिसने दावा किया कि उसे 1995 और 2014 के बीच 100 से अधिक शवों, मुख्य रूप से महिलाओं और नाबालिगों, को दफनाने के लिए मजबूर किया गया। यह कर्मचारी, जो 50 वर्षीय दलित और धर्मस्थल मंदिर का पूर्व कर्मचारी है, अपनी सुरक्षा के लिए छिपा हुआ है और कानूनी संरक्षण मांग रहा है। इन आरोपों ने तटीय कर्नाटक, विशेष रूप से धर्मस्थल, जो एक हिंदू तीर्थस्थल के रूप में प्रसिद्ध है, को हिलाकर रख दिया है।

कर्नाटक सरकार ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डीजीपी प्रणब मोहंती के निर्देश पर 26 जुलाई, 2025 को एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया। यह मामला धर्मस्थल पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया (Cr No. 39/2025, BNS 211a)। एसआईटी का कार्यक्षेत्र भूमि सर्वेक्षण रिकॉर्ड की जांच, शिकायतकर्ता से पूछताछ, और नेत्रावती नदी के पास स्नान घाट के निकट 13 संदिग्ध दफन स्थलों पर उत्खनन करना शामिल है।

जांच में प्रमुख घटनाक्रम

जांच में पिछले सप्ताह, विशेष रूप से जुलाई 2025 के अंत में कई उल्लेखनीय प्रगति हुई:

  • जांच की शुरुआत: एसआईटी ने 26 जुलाई, 2025 को अपना काम शुरू किया, जिसमें वरिष्ठ अधिकारी मंगलुरु पहुंचे। प्रारंभिक गतिविधियों में शिकायतकर्ता से दो दिनों तक पूछताछ और 14 संदिग्ध स्थलों का दौरा शामिल था।
  • उत्खनन कार्य: 29 जुलाई, 2025 को उत्खनन शुरू हुआ, जिसमें एसआईटी ने घने जंगल क्षेत्रों में संदिग्ध कब्र स्थलों पर खुदाई के लिए टीमें बनाईं। 30 जुलाई तक, पांच स्थलों पर खुदाई की गई, लेकिन कोई मानव अवशेष नहीं मिला। इस दौरान, 1995 से 2014 तक क्षेत्र में तैनात पुलिस अधिकारियों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • 31 जुलाई, 2025 को महत्वपूर्ण खोज: तीसरे दिन, छठे स्थल पर आंशिक कंकाल अवशेष बरामद किए गए। इनमें 15 हड्डियां थीं, लेकिन कोई खोपड़ी नहीं थी, जो लगभग चार फीट नीचे मिलीं। एक फॉरेंसिक डॉक्टर ने प्रारंभिक रूप से इन्हें पुरुष का बताया, हालांकि पूर्ण फॉरेंसिक जांच की प्रतीक्षा है।
  • अतिरिक्त खोजें: पहले स्थल पर, दो दिन पहले खुदाई के दौरान, एक पैन कार्ड और रुपे डेबिट कार्ड मिला। पैन कार्ड बेंगलुरु ग्रामीण जिले के नेलमंगल तालुक के सुरेश नामक व्यक्ति का था, जिसकी मार्च 2025 में पीलिया से मृत्यु हो गई थी और उसका अंतिम संस्कार उसके गांव में हुआ था। इस खोज ने उसके दफन की परिस्थितियों पर सवाल उठाए।

जांच के प्रयास और संसाधन

एसआईटी ने गहन जांच सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण संसाधन जुटाए हैं:

  • मंगलुरु के मल्लिकट्टे में खुफिया ब्यूरो में एक समर्पित कार्यालय स्थापित किया गया है, जिसमें जनता की सहायता के लिए हेल्पलाइन (0824-2005301, 8277986369, ईमेल: sitdps@ksp.gov.in) शुरू की गई है।
  • उत्खनन कार्यों में मिनी-अर्थमूवर्स, वाटर पंप, पाइप, बारिश कवर, और डॉग स्क्वॉड का उपयोग किया जा रहा है, जो साक्ष्य उजागर करने के लिए व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
  • 31 जुलाई, 2025 को जांच में और तेजी आई, जिसमें नौ और वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल किया गया, जो जांच के पैमाने और जटिलता को दर्शाता है।

फॉरेंसिक और कानूनी निहितार्थ

बरामद आंशिक कंकाल अवशेषों का फॉरेंसिक विश्लेषण किया जा रहा है ताकि आयु, लिंग, और मृत्यु का कारण निर्धारित किया जा सके। विशेषज्ञों का कहना है कि मिट्टी की स्थिति के आधार पर कंकालीकरण में एक से तीन महीने लग सकते हैं, जो दफन के समय का अनुमान लगाने में मदद कर सकता है। खोपड़ी की अनुपस्थिति पहचान को जटिल बनाती है, लेकिन अन्य हड्डियों से डीएनए विश्लेषण जैसे फॉरेंसिक अंतर्दृष्टि संभव हैं।

पैन और डेबिट कार्ड जैसे दस्तावेजों की बरामदगी ने बैंक विवरणों के साथ क्रॉस-सत्यापन शुरू किया है, जो संभावित रूप से खोजों को विशिष्ट व्यक्तियों और समयरेखा से जोड़ सकता है। एसआईटी शिकायतकर्ता के जबरन दफन के दावों की भी जांच कर रही है, जो यदि सिद्ध हो, तो साजिश, शवों का अवैध निपटान, और संभवतः मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों को जन्म दे सकता है।

सामाजिक और कानूनी प्रतिक्रियाएं

इस मामले ने महत्वपूर्ण सार्वजनिक ध्यान आकर्षित किया है, जिसमें सोशल मीडिया पर चिंता और अटकलों की बाढ़ आ गई है। ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक विमेन्स एसोसिएशन (एआईडब्ल्यूए) जैसे संगठनों ने संबंधित मामलों की व्यापक जांच की मांग की है, जिसमें 1980 के दशक में छात्रा पद्मलाथा का अपहरण और हत्या, 2012 में हाथी महावत नारायण और उनकी बहन यमुना की हत्या, और वेदावल्ली और सौजन्या की असामयिक मौतें शामिल हैं। कर्नाटक राज्य महिला आयोग ने पिछले दो दशकों में महिलाओं और लड़कियों के छात्रों के खिलाफ कथित दुरुपयोग, हत्याएं, बलात्कार, और लापता मामलों की जांच का आह्वान किया है।

यह विवाद मामले की संवेदनशीलता को रेखांकित करता है, जिसमें मंदिर प्रशासन, स्थानीय कानून प्रवर्तन, और सामुदायिक विश्वास पर संभावित प्रभाव पड़ सकते हैं। एसआईटी के निष्कर्ष व्यापक प्रणालीगत सुधारों को जन्म दे सकते हैं, विशेष रूप से शिकायतकर्ता जैसे हाशिए पर रहने वाले श्रमिकों के उपचार के संबंध में।

घटनाओं की तुलनात्मक समयरेखा

घटनाओं के क्रम को व्यवस्थित करने के लिए, निम्नलिखित तालिका प्रमुख मील के पत्थर को सारांशित करती है:

तारीखघटना
25 जुलाई, 2025वरिष्ठ एसआईटी अधिकारी मंगलुरु पहुंचे, भूमि सर्वेक्षण रिकॉर्ड की जांच शुरू।
26 जुलाई, 2025एसआईटी जांच शुरू, शिकायतकर्ता से दो दिन तक पूछताछ, 14 स्थान चिह्नित।
29 जुलाई, 2025उत्खनन शुरू, 30 जुलाई तक पहले पांच स्थलों पर कोई मानव अवशेष नहीं मिले।
31 जुलाई, 2025छठे स्थल पर आंशिक कंकाल अवशेष (15 हड्डियां, कोई खोपड़ी नहीं) मिले, पहले स्थल पर पैन और डेबिट कार्ड बरामद।
1 अगस्त, 2025जांच जारी, फॉरेंसिक विश्लेषण चल रहा है, व्यापक जांच की मांग।

निष्कर्ष

1 अगस्त, 2025 तक, कर्नाटक एसआईटी की धर्मस्थल में सामूहिक दफन की जांच ने बिना खोपड़ी के आंशिक कंकाल अवशेषों की खोज की है। जांच एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जिसमें फॉरेंसिक विश्लेषण से अवशेषों की उत्पत्ति और व्यापक आरोपों पर और स्पष्टता मिलने की उम्मीद है। इस मामले की जटिलता, जिसमें ऐतिहासिक दावे और हालिया खोजें शामिल हैं, क्षेत्र में न्याय और जवाबदेही के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थों के साथ विकसित हो रही है।

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