हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक ऐसी खोज की है जो चिकित्सा जगत में क्रांति ला सकती है। दुबई और भारत के शोधकर्ताओं ने पाया है कि ऊंट के आंसुओं में मौजूद एंटीबॉडी 26 अलग-अलग सांपों के जहर को निष्क्रिय कर सकते हैं। यह खोज विशेष रूप से भारत जैसे देशों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जहां हर साल सांप के काटने से हजारों लोगों की मौत हो जाती है।
कैसे हुई यह खोज?
इस शोध को दुबई के सेंट्रल वेटरनरी रिसर्च लेबोरेटरी (CVRL) और भारत के बीकानेर स्थित नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन कैमल (NRCC) के वैज्ञानिकों ने मिलकर किया। उन्होंने ऊंटों को कुछ सबसे जहरीले सांपों (जैसे सॉ-स्केल्ड वाइपर) के विष से इम्यूनाइज किया। इसके बाद ऊंटों की प्रतिरक्षा प्रणाली ने विशेष एंटीबॉडी विकसित कीं, जो उनके खून और आंसुओं में पाई गईं।
क्या है इन आंसुओं में खास?
- एंटीबॉडी (इम्युनोग्लोब्युलिन्स): ये सांप के जहर में मौजूद न्यूरोटॉक्सिन और हीमोटॉक्सिन को बेअसर कर सकते हैं।
- लाइसोज़ाइम: एक प्राकृतिक एंजाइम जो जहर के प्रभाव को कम करता है।
- 26 सांपों के जहर के खिलाफ प्रभावी: इनमें सॉ-स्केल्ड वाइपर जैसे घातक सांप भी शामिल हैं, जो तेजी से मौत का कारण बनते हैं।
क्यों है यह खोज इतनी महत्वपूर्ण?
भारत में हर साल लगभग 58,000 लोग सांप के काटने से मरते हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां सस्ता और प्रभावी एंटीवेनम मिलना मुश्किल होता है। अगर ऊंट के आंसुओं से बना एंटीवेनम व्यावहारिक रूप से उपलब्ध होता है, तो यह सस्ता, अधिक प्रभावी और कम एलर्जिक प्रतिक्रिया वाला विकल्प हो सकता है।
अभी और शोध की जरूरत
हालांकि यह खोज बेहद उत्साहजनक है, लेकिन अभी यह प्री-क्लिनिकल चरण (जानवरों और लैब टेस्ट) में है। इंसानों पर इसके सुरक्षित और प्रभावी होने की पुष्टि के लिए क्लिनिकल ट्रायल की आवश्यकता होगी। अगर सब कुछ ठीक रहा, तो यह दवा पारंपरिक एंटीवेनम की तुलना में ज्यादा स्थिर और आसानी से उपलब्ध हो सकेगी।
निष्कर्ष
ऊंट के आंसुओं में पाए गए एंटीबॉडी सांप के जहर के खिलाफ एक नया और प्रभावी हथियार साबित हो सकते हैं। यह खोज भविष्य में सांप के काटने से होने वाली मौतों को कम करने में अहम भूमिका निभा सकती है। हालांकि, अभी इसे व्यापक स्तर पर इस्तेमाल करने से पहले और शोध की आवश्यकता है।
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